दिल्ली जैन डायरेक्टरी | Delhi Jain Directory
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री मुनीन्द्र कुमार जैन - Shri Munindra Kumar Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका पन्द्रह
उक्त सभी महानुभावों तथा विज्ञापनदाताओं के; जिन्होंने अपने विज्ञापन देकर उदारता का परिचय दिया
और डायरेवटरी के प्रकाशन को सुलभ किया, हम हादिक आमारी हैं ।
। डायरेबटरी के मुद्रक जयन्ती प्रेस के व्यवस्थापक पार्टनर श्री एम० आर० कुमार और उनके फोरमेन श्री
विहारी लाल व श्री जगदीश जी का आदि से अन्त तक बराबर सहयोग प्राप्त होता रहा । मुझे प्रसन्तता है, कि डायरे-
वटरी को अच्छे से श्रच्छ ढंग में प्रस्तुत करने का उन्होंने पुरा प्रयास किया है ।
ग्रन्ते मे, मै व्यवस्थापन व सम्पादन मंडल कै चेग्ररमेन तथा सदस्यगण का भ्रत्यन्त ही शआ्रआाभारी हूं, जिनके
अयत्नों से यह कार्य सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ । इस काये में हमारे प्रधाव श्री शिवदयाल सिंह जी की झारम्भ से ही
रूचि रही और उन्होंने पग-पग पर हमारा मार्ग-दशंत किया । जब भी हमने कमजोरी अनुभव की, उन्होंने हमारा साहप्त
बढ़ाया और अपूब प्रेरणा दी | यरी नहीं, सामप्री के संकलन, विज्ञापनों के प्राप्त करने आदि सभी कार्यो में सक्रिय रूप
से सहयोग दिया ।
| व्यवस्थापन मंडल के चेभ्ररमेन लाला डिप्टीमल जी तो इस सम्पूणं योजना के पीर शक्ति स्रोत रहे हैं। वे
वयोवृद्ध हैं, किन्तु उनका उत्साह युवकों से कहीं अधिक है । शहर के उद्योग व्यापार प्रादि की जानकारी का एकत्रित करना
दुस्तर कायं था ्रौर उप्से भी अधिक था प्रकाशन के लिये पंच हज़ार रुपये की धनराशि एकत्रित करना । लाला जी ने
लोगों से बारबार कहा, ठेलीफोन पर अनेकों ही वार स्मरण करवाया और जानकारी प्राप्त करवाई । अपने व्यक्तिगत
सम्पर्कों से ही लगभग दो हज़ार के विज्ञापन तो उन्होंने टेलीफोन पर ही सुरक्षित कर दिये झर शेष राशि के लिये
'हमारे साथ चलने में भी संकोच नहीं किया । डायरेक्टरी की सामग्री को क्रम से व्यवस्थित रूप देने में उनका ही प्रमुख
'हाथ है| लाला जी ने इस दुस्तर कायं को सम्पन्न करने में जो युवकों सदृश परिश्रम किया वह अद्वितीय हैं । इस
में कोई अ्रतिशयोक्ति नहीं कि लाला जी के ही अनवरत् प्रयत्नों का ही परिणाम है कि यह डायरेक्टरी और वह भी इस
“रूप में प्रकाश में श्रा सकी ।
पनी भ्रादीदवर प्रसाद जी एष० ए० (यू० पी° एस० सी०) का सहयोग तो इतना विस्तृत रहा दहै कि इस
` -सम्पूणं कायं का कोई भी एेसा पहलू नहीं जिस पर उनकी छाप न. हौ । योजना, सामग्री संकलन, प्रकादन व्यवस्या, वित्ता-
पन प्राप्त करने श्रादि सभी कार्यो में वह मेरे साथ रहे हैं ।
इस कायं में भाई टेकचन्द्र जी, मित्र श्रौ सतीश कुमार व श्री वकीलचंद्र का पूणं साहाय्य प्राप्त हरा है, एतदर्थ
' मै उनका हाद्विक भ्राभारी हूँ । इतने विशद क्षेत्र का यह प्रथम प्रयास है। भ्रनेक प्रयत्नो के वावजूद भी वहुत सी
'कमियां रहतो हैं । खेद है, कि हम डायरेक्टरी में उतनी सामग्री नहीं दे सके हैं जितनी होनी चाहिये थी। हम उन समी
'महानुभावों से क्षमा प्रार्थी हैं जिनके बारे में इसमें जानकारी उपलब्ध नहीं की जा सकी है। समाज के सहयोग और
सद्भावना से यह डायरेक्टरी प्रकाश मे श्रा सी रौर उसी सहयोग व॒ सद्भावना से श्रागामी संस्करणों मं
इसकी अपुर्णाता तथा श्रत्य कमियों को दूर किया जा सकेगा, ऐसा विश्वास है 1 |
आज का युग सहकारिता का युग कहा जाता है। प्रस्तुत प्रयास सहकारिता के उस अनुपम भिद्धांत
के महत्व की एक भलक है । यदि इस डायरेक्टरी में दी गई जानकारी समाज में संगठव ओर सहकारिता की
- भावना का संचार कर सके, तो यह प्रयास सफल होगा ।
नयी दिल्ली, আছ पमार
न मंत्री, ऊन सना नयी द्वितया
. कातिक कृष्णा चतुदंशी सेरी, अन मना नयी दिलयी
: चीर निर्वाण सम्वत् २४्८म
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