आजादी की मशालें | Aazadi Ki Mashalen
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.72 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शेरे पंजाब महाराजा रणजीतसिद् वृ७्द०-१८३७ १९वी के पहले तीस वर्षों को कई भर्थों में पंजाब का स्वर्ण युग माना जाहा है। इसका सर्वाधिक श्रेय रणवाँकुरे एवं प्रतिभासम्पत्त शासक महाराजा रणजीतसिंह को जाता है। स्वर्गीय प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने उन्हें हमारी मातुभ्ूमि के विशिष्ट व्यक्तियों में से एक कहकर पुकारा था । एके कुशल योद्धा और राजनीति प्रवीण शासक के रूप में उनकी ख्याति धर-पर में फोली है। रणजीतसिद्ट का जन्म २ नवस्वर १७८० को गुजराँवाला में हुआ जो अब पाकिस्तान में है। कहा जाता है कि ७ वर्ष की अवस्था में उन्होंने पहली लड़ाई खड़ी। १२ वर्षे की अवस्था में उन्होंने एक किले को अपने अधिकार में कर लिया था। ७ जुलाई १७१६६ को उन्द्ोंवे लाहोर के ऐतिहासिक किले में प्रवेश किया बोर बीसियों छोटी-छोटी रिपासतों को संगठित करके एक शक्तिशाली पंजाब जदेस बनाने की नीय कसी । पंजाब ही इस भारतीय उपमहाद्वीप में एकमा मर ऐसा था जो प्रिटिग सरकार के कब्ने में न ला पाया था । ढा० एस० राधाकृष्णन के दाब्दों में महा राजा ने अपनी बहादुरी और निप्पन्न व्यवहार के कारण छोटे-छोटे राज्यों को एक संगठित प्रदेश का रुप दिया और कडिन परिस्थितियों में भी उसकी एकता भर को कायम रखा ब्तेंमान स्थिति को देखते हुए जबकि राष्ट्रीय एकता पर अत्पधिक चल दिया जा रहा है हमें उस महान शासक की नीतियों तथा सिद्धान्तों को अपनाना है जिसने विभिस्त धर्मों रीति-रिवाजों और परम्पराओं के बावजूद अपनी प्रजा कौ एकजुट होकर रहने को प्रेरणा दी । वर्तमान पीढ़ी को उनके उदाहरण से प्रेरणा सेनी चाहिए। महाराजा रणजीतप्िह के बारे में एरू विशेष तथ्य है लोकतास्त्रिक मान्यताओं दोरे पंजाब महा राजा रणजीतप्िद्द / १६.
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