हिंदी विद्यापीठ ग्रंथ वीथिका | Hindi Vidyapith Granth Vithika

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Hindi Vidyapith Granth Vithika by विविध लेखक - Various Writers

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श् हिन्दी विद्यापीठ ग्रन्य-वीौथिका [सन्‌ १६५६ गरमी की मेवा फालसे लगाये राजा जाडे की मेंवा दाख ऐ आामरे यामति जामिन जम्दीरी फरीसो वलन्दरी गहर सू यमीरी संतूत ताता किलौदे न वरनी झासले फालसे बहुत जामें खिरनी नए नारियल दाख बारी चिरोंजी कजा जु रीठा कतोर पान हो लगत बहुत मीठा लगति बेरि मीठो नौज गोजा सेंजनो कंचनार सीसो नवोजा रही वास महकाय चन्दन चमेली सुत्तगुरू गुलोन गुलौन मुलगा नौरग चमेली खूब रगा कमल सै रट्टी दौना जु मरुग्री मिचें लाल खड़ी खैरा नु धौपरी गुलकज तोरा सुरजमुखी फिरति नारि मोरा लौंग रें इलायची की से बयारी झुके मद चरें जाय वारी कीर्ाडि बरीला छए वास गूबर 'रैमजा छीकरा धोन धौरी हीसिया पीलुधा फेरि मोरी हीसिया हर्स डा वारि के वीस गया परी पापरी सेंगर सिद्ोरे हवासिनि इतेव रूख जोरे श्रलू अरलू पसेदू कदम कुड विराजे * माधुरी सतान जया सवन मैं विराजे अ्या साल तैंदू नपट नाग दोनी १ वामिस्स घनमिस्त सौदी 'रौसन ववूरा सदारम सर्द हसायन बकायन बडी वेलि पाई घरि बलि गुलम घरि जोरि महुप्मा रायन लभेडी गोदी न गड्या जावुमर श्राड वादू बरोदा न गरेरे खट्टा जु मिट्ठा निवुधा चनेरे देखें बादाम देखे जौ भ्गूरा वीौरवरि वडीला छए वास बारी बेतकी न बेला केवडौ नवौला कंतन वे पेड लगे जा वासों न छोपरा सुनना दै पेड देखे बहुत ई मलूद जामें बामनी दे पेंड दहूत ई दौसा रामन जमामन वर ये पौधा रमार्सिनि भाई या सीलताई पाई बडे बडे पेड स्पा पीपर के भाई




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