भारतीय आयकर के सरल सिद्धांत | Elements Of Indian Income Tax
श्रेणी : भारत / India
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्० कृषि-आय निम्न प्रकार की हो सकती है -- १ जमीनदार द्वारा वसूल किया हुआ छगान या किराया । २ पैदावार से कृवक की आय या गान लेने वाले व्यक्ति की दषि पैदावार से आय | ३ कमक या लगान लेने वाले की पैदावार को बिक्री योग्य बना देने की विधि से आय । ४ कृषि पैदावार को बेचने से होने वाली आय । ५ उस जायदाद की आय जो कृषि के काम में आती है। १३. आकस्मिक आय --घारा ४ ३ शा आकस्मिक आय वह आय हे जिसका स्वरूप आकस्मिक है तथा जो किसी व्यापार से या किसी व्यवसाय पेदों अथवा अन्य काम करनेसे उदय न हो। ऐसी आय कर-मृक््त है। लॉटरी मे मिलने वाला ईनाम घुडदौड मे हार-जीत पर लाभ इत्यादि आय आकस्मिक हैं। १४. आयकर दाता .558565566 -- धारा २ २ आय कर दाता वह है जिसके द्वारा आयकर दिया जाता है या जिसे आयकर विधान के अनुसार सरकार को कोई रकम देनी हो या जिसपर आय या हानि के कर- निर्धारण की या कर-वापसी की कोई कार्य-वाही जारी की गऔ हो। किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के उपरान्त उसके बेधानिक प्रतिनिधि भी आयकर दाता समझे जाते है । यदि कोई व्यक्ति जिसे किसी दूसरे व्यक्ति की आय में से कर काटना चाहिये कर नहीं काटे अथवा कर काट लेने के उपरान्त उसे सरकार को अदा तहीं करे तो उस व्यक्ति को भी आयकर दाता माना जाएगा। १५ आयानुसार बनाम विभागानूसार कर-पद्धतिया 516 5180 0 -- कर लगने वाली आय पर आयकर की सगणना दो पद्धतियो से की जा सकती है -- आयानुसार और विभागानुसार । आयानुसार पद्धति ४६60 8670 मे कुल आयको पुरी रकम पर एक ही दरके अनुसार जो कुल आय पर लागू होती हो आयकर चुकाना पडता है। यदि आय की विभिन्न रकमो के लिए आय ऊंची है तो उसके लिए दर भी ऊंची हे। यह पद्धति १ अप्रेल १९३९ से बन्द कर दी गई क्योकि यह अन्यायपुर्ण थी । इस पद्धति के अनुसार जो कठोरता अन्याय और असमान फल होते थे उन्हें दूर करने के लिए १-४- १९३९ से एक नई और अधिक न्यायोचित करारोपण की पद्धति जिसे विभागानु-
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