पढो समझो और करो | Padho Samjho Or Karo Part - 4
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.85 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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No Information available about मनहरलाल पोपटलाल मोनी - Manharlal Popatlal Moni
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्० पढ़ो; समझो और करो साग ४
जोड़ दिया जाय । पर ऐसा कौन करेगा !” मैंने कहा---'सिविठसर्थ
महोदय ! मेरे शरीरका मांस काटकर जोड़ दिया जाय ।” सिविछसर्जनः
कहा--आप नरोमें हैं क्या १ इसमें कष्ट तो मयानक होगा ही
मृत्युतकक्ी नौबत आ सकती है ।' मैंने कहा--'मैं कमी नशा
करता ही नहीं ।* तब सिविल्स॒जन महोदयने मुझे दूसरे दिन आनेकी
कहा | मैं दूसरे दिन पहुँचा और मांस काटकर उसके छगानेके छिये
सारी जिम्मेवारी अपने ऊपर लेकर मैंने उनको छिख दिया | तदनन्तर
डाक्टरने ५५ ठुकड़े मांस काटकर लड़कीके सड़े मांसको निकालकर
उस जगह जोड़ दिये । मैं बेहोश हो गया था। दो दिनके बाद मुझे
होश आया । लड़की बिल््कुल अच्छी हो गयी |
मैंते उन अंग्रेज सज्जनसे पूछा कि “आप क्या काम करते
हैं --उन्होंने बताया कि मैं हिंदुस्तान आनेवाले ईरानी ोगोंकी
देखरेख रखता हूँ । मुझे इतना वेतन मिठता हैं ।” वेतन बड़ा था |
मुझे उन्होंने बताया कि “वे अपने छिये बहुत थोड़े पैसे खर्च करके
दोष सब अस्पतालोंमें दे देते हैं । इसीसे गवर्नर महोदयने उनको
पानी बतढाया हैं और डारीरका मांस काटकर दिया था; इससे
पआत्मबढी कहा है |
उनकी बातें सुनकर मुझे उनकी मानवताकें प्रति बड़ी श्रद्धा !
हुई। प्राचीन कालमें जो काम दवीचिने किया था; वही इन्होंने
किया । तदनन्तर एक खानशामा खानेका प्लेंट छाया तो उन्होंने
केव चाय-बिस्कुट लेकर और चीजें छोटा दी--कहा कि ये ;
निरामिषाह्ारी सन मेरे पास बैठे हैं--न्हें कट्ट होगा ।' धन्य ! -
--हरी बकस नवल गढ़िया
लाया
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