पढो समझो और करो | Padho Samjho Or Karo Part - 4

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Padho Samjho Or Karo Part - 4 by मनहरलाल पोपटलाल मोनी - Manharlal Popatlal Moni

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्० पढ़ो; समझो और करो साग ४ जोड़ दिया जाय । पर ऐसा कौन करेगा !” मैंने कहा---'सिविठसर्थ महोदय ! मेरे शरीरका मांस काटकर जोड़ दिया जाय ।” सिविछसर्जनः कहा--आप नरोमें हैं क्या १ इसमें कष्ट तो मयानक होगा ही मृत्युतकक्ी नौबत आ सकती है ।' मैंने कहा--'मैं कमी नशा करता ही नहीं ।* तब सिविल्स॒जन महोदयने मुझे दूसरे दिन आनेकी कहा | मैं दूसरे दिन पहुँचा और मांस काटकर उसके छगानेके छिये सारी जिम्मेवारी अपने ऊपर लेकर मैंने उनको छिख दिया | तदनन्तर डाक्टरने ५५ ठुकड़े मांस काटकर लड़कीके सड़े मांसको निकालकर उस जगह जोड़ दिये । मैं बेहोश हो गया था। दो दिनके बाद मुझे होश आया । लड़की बिल्‍्कुल अच्छी हो गयी | मैंते उन अंग्रेज सज्जनसे पूछा कि “आप क्या काम करते हैं --उन्होंने बताया कि मैं हिंदुस्तान आनेवाले ईरानी ोगोंकी देखरेख रखता हूँ । मुझे इतना वेतन मिठता हैं ।” वेतन बड़ा था | मुझे उन्होंने बताया कि “वे अपने छिये बहुत थोड़े पैसे खर्च करके दोष सब अस्पतालोंमें दे देते हैं । इसीसे गवर्नर महोदयने उनको पानी बतढाया हैं और डारीरका मांस काटकर दिया था; इससे पआत्मबढी कहा है | उनकी बातें सुनकर मुझे उनकी मानवताकें प्रति बड़ी श्रद्धा ! हुई। प्राचीन कालमें जो काम दवीचिने किया था; वही इन्होंने किया । तदनन्तर एक खानशामा खानेका प्लेंट छाया तो उन्होंने केव चाय-बिस्कुट लेकर और चीजें छोटा दी--कहा कि ये ; निरामिषाह्ारी सन मेरे पास बैठे हैं--न्हें कट्ट होगा ।' धन्य ! - --हरी बकस नवल गढ़िया लाया




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