तानसेन | Tansen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्द + तानिसेन # (१९५१५ कही जु उतपति नाद फी, शाखरीति परिमान 1 तामसेनि सद्ीत मत, जानों चतुर खुजान ॥ (९३) गीत चाय श्र नृत्य कौ, कही शातमा नाद । सानसेनि सज्ीत मत, जामे उपज्त स्वाद ॥ (१४) तीनों मत बसमाद के, कीं सुमुनिन प्रमान । तादि दिये मदद जानि निज, मीयां सरस सुजान ॥ ॥ नाद शक्ति ॥ (१५१५ चरन यात व्ययद्दार में, मिस्पी रददतु दे नाद ! तानसेनि सब जीति भय, श्रौर कहे सो याद ॥ (१६) नाद शान बरतत रदै, सारद फे परसाद 1 केबल पु जड़ नाग प, फुणडल मैं सुनि स्वाद ॥ (१७१ पठ सिख श्रद्दि संतुप् भी, सुनी सब्द जिन नाद। तानसेनि यह नाद की, कदिं न जात मरजाद ॥ (८) नादउदधि के पार फो, फेती करी उपाइ । मज्ञन फे डर सारदा, दूँया रदी लगाई ॥ ॥ मतज्ञसुनि श्राचार्प्प और विज्ञानेश्वर मुनि का मत ॥ (१६) चीण चाद्य शरुतिताल में, निषुण पुरुष दै जोइ । विना पश्थिम जात है, मोक्ष पन्‍्थ कह सोइ ॥ ॥ ( नादश्रुति ) इज़ला, पिह्ला, सुपुम्णा लक्षण ॥ (२०) इज्ला पिज्ला खुप्मणा, तीनों , नाड़ी नाम । तानसेनि सन्नीत मत, जानों आावे काम ॥ ॥ इज्ञला, पिज्ञला, सुप्रम्सा स्थान नाम ॥ (२१) इज्ला चायव्या कद्दी, दुच्छिन पिंगला जानि । मध्य रदत है. खुपुमना, घहाएंव 'लो मानि ॥ ः (९२) ताऊपर जी प्रान ज्यौ, चढ़ौ रद्दत है नित्त ! श्रथ ऊस्घ को चलत है, ज्यों नठ चरददा नित्त ॥ ॥ इह्चला, पिज्ञला, सुषुम्णा स्थान वर्णन ( न्रह्मग्रन्थी स्थान ) ॥| (२३) ढँ भंगुली धाधार पर, आअडुल दा ही नीच । तप्त देम के चरन सो, श्रहुल दँ हो बीच ॥ (२४) सम शिखा जो श्ग्नि की, तहां रहत सो जानि । ता ऊपर नवझ्हुली, चक्र रदत सो माति ॥ (९६) ताली अडुल चारि रह, उरचे देदी कन्द । अह्ममन्थि ताको कहें, सुर पति सच निरद्धन्द्‌ ॥




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