तानसेन | Tansen
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.11 MB
कुल पष्ठ :
157
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्द + तानिसेन #
(१९५१५ कही जु उतपति नाद फी, शाखरीति परिमान 1
तामसेनि सद्ीत मत, जानों चतुर खुजान ॥
(९३) गीत चाय श्र नृत्य कौ, कही शातमा नाद ।
सानसेनि सज्ीत मत, जामे उपज्त स्वाद ॥
(१४) तीनों मत बसमाद के, कीं सुमुनिन प्रमान ।
तादि दिये मदद जानि निज, मीयां सरस सुजान ॥
॥ नाद शक्ति ॥
(१५१५ चरन यात व्ययद्दार में, मिस्पी रददतु दे नाद !
तानसेनि सब जीति भय, श्रौर कहे सो याद ॥
(१६) नाद शान बरतत रदै, सारद फे परसाद 1
केबल पु जड़ नाग प, फुणडल मैं सुनि स्वाद ॥
(१७१ पठ सिख श्रद्दि संतुप् भी, सुनी सब्द जिन नाद।
तानसेनि यह नाद की, कदिं न जात मरजाद ॥
(८) नादउदधि के पार फो, फेती करी उपाइ ।
मज्ञन फे डर सारदा, दूँया रदी लगाई ॥
॥ मतज्ञसुनि श्राचार्प्प और विज्ञानेश्वर मुनि का मत ॥
(१६) चीण चाद्य शरुतिताल में, निषुण पुरुष दै जोइ ।
विना पश्थिम जात है, मोक्ष पन््थ कह सोइ ॥
॥ ( नादश्रुति ) इज़ला, पिह्ला, सुपुम्णा लक्षण ॥
(२०) इज्ला पिज्ला खुप्मणा, तीनों , नाड़ी नाम ।
तानसेनि सन्नीत मत, जानों आावे काम ॥
॥ इज्ञला, पिज्ञला, सुप्रम्सा स्थान नाम ॥
(२१) इज्ला चायव्या कद्दी, दुच्छिन पिंगला जानि ।
मध्य रदत है. खुपुमना, घहाएंव 'लो मानि ॥ ः
(९२) ताऊपर जी प्रान ज्यौ, चढ़ौ रद्दत है नित्त !
श्रथ ऊस्घ को चलत है, ज्यों नठ चरददा नित्त ॥
॥ इह्चला, पिज्ञला, सुषुम्णा स्थान वर्णन ( न्रह्मग्रन्थी स्थान ) ॥|
(२३) ढँ भंगुली धाधार पर, आअडुल दा ही नीच ।
तप्त देम के चरन सो, श्रहुल दँ हो बीच ॥
(२४) सम शिखा जो श्ग्नि की, तहां रहत सो जानि ।
ता ऊपर नवझ्हुली, चक्र रदत सो माति ॥
(९६) ताली अडुल चारि रह, उरचे देदी कन्द ।
अह्ममन्थि ताको कहें, सुर पति सच निरद्धन्द् ॥
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