ऋषि - संप्रदाय का इतिहास | Rishi Sampraday Ka Itihas

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : ऋषि - संप्रदाय का इतिहास  - Rishi Sampraday Ka Itihas

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about पं. मुनिश्री मोती - Pt. Munishree Moti

Add Infomation About. Pt. Munishree Moti

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्र जल ऋषि-सम्प्रदाय का इतिहास यूव-पीठिका निष्पक्ष और उदार भावना से जैनघ्म श्र इतर धर्मों के स्वरूप के महत्त्वपूर्ण अन्तर को समक लिया जाय तो जेनधघर्म की घ्यनादिता को समभने मे कोई कठिनाई नहीं हो सकती । जैनधर्म कोई पंथ या मत नहीं है और न वद्द इतर धर्मों की भांति किसी च्यक्ति या पुस्तक पर निर्भर है ।_वेद्घम के छानुयायी सानते हैं-- नोदनालक्षणों धमः । अथांव बेद नामक पुस्तकों से प्राप्त होने चाली प्रेरशां दो धर्म है । यद्द वैदिक धर्म है । इस व्याख्या से स्पष्ट है कि वैदिक धर्म वेद के अस्तित्व पर जीबित है। जब बेद नही थे ठो वैदिक धर्म भी नहीं था । वेद के वाद इस घम का प्रादुर्भाव हुआ । इसी प्रकार बौद्ध धर्म का महात्मा गौतमबुद्ध से प्रादुर्भाव है ७. हा हर हुआ है । उनसे पदले बौद्धघ्म के अस्तित्व का कोई प्रमाण नहीं है ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now