आधुनिक हिंदी निबंद | Aadhunik Hindi Nibandh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्र पुरुषों के बास्यकाल की घटनाएँ इसके प्रमाण हैं । महात्मा गाथी, लाल बहादुर प० जदादर सलाम नेहरू तथा डा० राजेन्द्र असाद श्रादि महापुरुपों के व्यक्तित्व का निर्माण उनके वियार्थी-जीवन से ही हुआ था 1 3, चिद्यार्थों के सक्षण--विद्यार्थी शब्द विद्या +-श्र्थी इन दो शब्दों के सचि थोग से बना है, जिसका ध्रर्य है--वह व्यक्ति जिसका एक भात्र उद्देश्य विद्या प्लाप्त करना है। विया प्राप्त वरना श्रथवा मनेकानेक विपयो का शुद्ध ज्ञान प्राप्त करना एक प्रकार की तपश्चर्या है । इस तपस्या में वे ही सफल होते है जो एक विशेष प्रकार की जीवत-चर्या को अपनाते हैं + हमारे सस्कृत साहित्य में विद्यार्थी के प्रमुख पाँच लक्षण बताए हैँ-- काक चेप्टा थको ध्यान इवान निद्वा च । श्रत्पाह्मरी च स्वी त्यागी दिद्यार्थी पंच लक्षणम्‌ ॥ विद्यार्थी कोए की तरह चेप्टावानू अपवा चंचल होता चाहिए । उसमें पूर्ण जिज्ञासा होनी चाहिए । जिस प्रकार कौम्रा एक क्षण के लिए भी शान्त श्रौर स्थिर नहीं रहता उसी प्रवार विद्यार्थी को भी शानन आर स्थिर नहीं रहना चाहिए । सब ही चौकता रइकर पूर्ण सजगता के साय प्रतिक्षण कुछ न कुछ करने ही रहना चाहिए 1 विद्यार्यी का हुसरा लक्षण है--वगुले का सा ध्यान लगाने वाला । जिस प्रकार बगुला पानी में एक टाँग से खड़ा रहकर ध्यान लगाता रहता है झीर झपने पास में के श्राति ही चट से उसे पकड लेता है, उसी प्रवार विद्यार्थी को भी अध्ययन की प्रक्रिया में शास्त चित्र से पढ़ते रहना चाहिए 'प्रौर महत्वपूर्ण ज्ञान के बिन्दु को तत्काल प्रहण कर लेना चाहिए । विद्यार्थी का तीसरा लक्षण श्वान है । जिस प्रकार फुत्ता गहरी नीद भें सोता हुमा भी पाँव की जरा सी झाहट से हो जाग पडता है उसी प्रकार की. नींद बियार्थी की भी होनी चाहिए । लगातार घटों गहरी नीद में सोते पढे रहना विद्यार्थी का लक्षण नही है । विद्यार्थी का चौया लक्षण होना है ! भ्रत्यन्त सादा भोजन भ्ल्प मात्रा मे करने वाला ही पूर्ण स्वस्थ रहकर विद्याव्ययन मे लगा रह सकता है। खुध 'भरपेट भोजन करने वाला भालसी पन जाता है और वह पूर्ण स्वस्थ भी नहीं रद्द पाता । ऐसी स्थिति में विद्याध्ययन करने में दाथा उत्पन्न हो जाती है । विद्यार्थी का पाँचवाँ लक्षण स्वी-त्यागी अथवा ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है । जो विद्यार्थी झपने भ्रव्ययन-काल मे ब्रह्मचयं वा पालन न करके भोग विलासे का जीवन व्यतीत करने लग जाते हैं, उनका विय्यार्थी-जीवन विगंड जाता है श्रौर वे अपने उद्देश्य मे विफल हो जाते हैं। ऊपयुंक्त भमुख पाँच लक्षणों के अतिरिक्त बुद्ध अन्य. लक्षण शरीर भी है। विद्यार्थी में गुरू, माता पिता तथा दे लोयो के प्रति श्रद्धा होनी चाहिए तथा उसके




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