वरांग चरित्र | Varang Charit
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about खुशालचंद्र गोरावाला - Khushal Chandra Gorawala
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १४ )
विंश सगं १८०-१८९
सुखमम्त वरांग १८०
उत्तमपुरमे सुषेशका राज्याभिषेक ১১
सुषेणएकी अयोग्यता तथा शन्र॒का आक्रमण १
सबेणका समरस्थलीसे पलायन রী
হালু द्वारा आक्रान्त आधा राज्य--
लेकर संधिका प्रस्ताव ग,
महाराज धर्म॑सेनका वरांगको--
याद करके दुखी होना शा
धर्मसेनकी युद्धयात्रा १८२
मंत्री परिषद् तथा मित्ररजको-
बुलानेकां निर्णय ११
दूत द्वारा सहाराज देवसतेतकी समाचार १८३
देवसेनका उत्तमपुराधिपकी-
सहायताथे चलनेका निर्णय
कश्चिदूभट ही वरांग है, रहस्यका भेद +
पिताकी विपत्ति सुनकर--
बरांगको भी आंसू आ गये कर
मनोरसासे विवाहादि' १८४
कृतज्ञता प्रकाश तथा--
धर्मपितासे अनुज्ञा लेना हे
धमपिताकी सहयात्रा १८५
युद्धयात्रा तथा सेनिकोके बचन छ
सेनाका वणेन तथा आगमन सन्देश १८
सागखूद्धि द्वारा देवसेन तथा--
वरांगका समाचार १८७
पुन्रप्राप्तिके समाचारसे ग्रमुदिति राजा
बन्धुमिलन तथा शन्रुमदन योजना
शत्र पलायन
राज्याभिषेक
“राजधानी प्रवेश
मांता-चहिन-पत्नीसे मिलन
एकविंशा सगं
कर्म वैचित्र्य
सम्बन्धी विदा
चरांगकी न्याय निपुणता
सुबेण आदिका हृदय परिवर्तेन--
तथा क्षुमादान
१८६
2
१९०-१९८
वरांगका नूतन राज्य निर्माणका निणेय ৮৮ टं
पितासे अनुमति अहण ग
93
सहयात्री चयन तथा यात्रा १६३
नगर स्थान निरीक्षण तथा निर्माण ४
आनतेपुरका वर्णन 29
राजमवन १६४
देवालय 95
देशसमृद्धि तथा नागरिक চা
ईति-मीति दीनता १६५
सागखूड्धिको विदर्भराज बनाना টি
अन्य बन्धु-बान्धवोंको प्रादेशिक राञ्यार्पण ৯
सुषेणके लिए वकुलराज देनेका प्रयत्न १६६
दूत प्रेषण क
बकछुलाधिपके मंत्रियों द्वारा आत्म-समर्पणु--
-सम्मत्ति १६७
पुत्नी विवाह प्रस्ताव श्र
चमा याचना तथा मनोहरा विवाह ४.0
धर्मराज तथा राञ्यका चरम विकास १६८
द्राविंश বম १९९--२०९
वरांगके सुराज्यका बणैन १६६
स्नेह तथा सहानुभतिमय दासक =
रजकी धममनिष्ठासे समृद्धि. २०१
वरांगराज का ऋतुविहार নী
सुखमम्न राजा २०२्
पुण्य प्रशंसा রি
सुखसे भी धर्म न भूलने वाली-
-रानी अनुपसा २०३
गार धमं न
अष्ठांग सम्यकृद्रोन २०४
जिनपूलाकी श्रेष्ठता वि
नन्दीश्वर विधानका संकल्प माहात्म्य २०५
मूर्तिपूजाका उपदेश রর
जिनसन्दिर निर्माण तथा फलका उपदेश २०६
जिनालय निर्माण आज्ञा हु
जिनालयका নদ २०७
जिनालयकी स्ना 5
जिनालयके चिसाग २०८
जिनालयके उद्यान
जिनालयका अदूभुत्तरूप न
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