आलेखन कला | Aalekhan Kala

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : आलेखन कला  - Aalekhan Kala

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about देवकीनन्दन शर्मा - Devakinandan Sharma

Add Infomation AboutDevakinandan Sharma

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
(६ ৬ 9 सचीकरण (0424108) ` कार्यालय का प्रत्येक बौद्धिक कर्मचारी (क्लर्क) यह जानता है कि किसी मी पराप्त-पत्र पर कारवाई करने के लिये बहूधा उसे पूवं उदा- हरणो या सन्दभों का अवलोकन करना अनिवार्य होता है | ऐसा किये विना उसे अनेक प्रकार की असुविधाएँ होती है तथा आगे की कारवाई मी सुचारु रुप से नही हो पाती | सचीकरण इसी असुविधा की पूर्ति करता है। सूचीकरण भी शुद्ध एवं स्पष्ट होना चाहिये। सूचीकरण नत्थी (४71७) के शीपक का प्रतीक है । उसमे प्रमुख विषय, उपविपय, स्थान ओर व्यक्ति आदि का सक्तिप्त विवरण लिखना आवश्यक होता है। कार्यालय में ऐसे अवसर वरावर आते रहते हैं, जबकि «र्पों' पुरानी नत्यी की आवश्यकता सद्यः प्राप्त पत्रों के सम्बन्ध में हो जाती है | अतएव पन्नों की नत्थी के ऊपर ऐसे शीर्पक रखे जॉय, जो अवसर पडलने पर आवश्यक सन्दर्म उपलब्ध करने में सहायक হী! यदि नत्यी के शीर्षक के उपा्ध भी विपय से पूर्णतया सम्बद्ध हो तो और अधिक आसानी होगी ! एक नत्थी में एक ही विपय से सम्बद्ध बहुसंख्यक पत्र क्रम-संख्या के अनुसार रखे जाते है | पत्र की क्रमसख्या ज्ञात हो जाने पर यदिः सूचीकरण ठीक प्रकार से किया गया दो तो सन्द (१९१९७०९) खोजने में किसी प्रकार की कठिनाई नही होती । नत्थी की क्रम-सख्या लिखने के साथ साथ वर्ष-सख्या भी लिख दी जाती है | प्रान्तीय सरकार के कार्यालयों में न॒त्यियो का सम्रह विपयानुसार




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now