मानक हिन्दी कोश भाग ३ | Manak Hindi Kosh Bhaag 3
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
52 MB
कुल पष्ठ :
632
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संस्कृत शब्दो की व्युत्पत्ति के संकेत
अत्या० स०--अत्यादि तत्पुरुष समास (प्रा० स० के अन्तगंत) प्रा० स०--प्रादि तत्पुरुष समास
अन्य स०--अन्ययीमाव समास
उप० स०~--उपपद समास
उपमि० स०--उपमित कर्मधारय समास
कर्म ० स०---कमंधारय समास
च० त०--चतुर्थी तत्पुरष समास
तृ० त०--तृतीया तत्युरुष समास
द° स०--न्दर समास
द्विगु° स०--द्विगु समास
द्वि° त०--द्वितीया तत्पुरुप समास
न° त०--ननूतत्पुरुष समास
न° व०-नमूवहुव्रीहि समास
निऽ-निपातनात् सिद्धि
प० त०--पञ्चमी तत्पुरूप समास
पृपो ०--पृपोदरादित्वात् सिद्धि
সাণ व° स०--प्रादि बहुत्रीहि समास
व° स०-वहुव्रीहि समास
वा०-वाहुलकात्
मयू० स०-मय् रव्यसकादित्वात् समास
गक ०--गकन्ध्वादित्वात् पररूप
प० त०--पप्ठी तत्पुरुष समास
स० त०-सप्तमी तत्पुरुष समास
५८ यद चातु चिह्न हे ।
विशेष--पृषो ०, नि० और बा० ये तीनो पाणिनीय व्याकरण
के सकेत है। इनके अर्थं हे, पृपोदर' आदि शब्दो की भाति,
निपातन (विना किसी सूत्र-सिद्धान्त) से भौर वाहुरुक' (जहां
जसी प्रवृत्ति देखी जाय वह उस प्रकार) से शब्दो की सिद्धि ।
जिन शब्दो की सिद्धि पाणिनीय सूत्रो से सम्भव नही होती उनकी
सिद्धि के लिए उपर्युक्त विधियो का प्रयोग किया जाता है । इन
विधियो से किसी शब्द को सिद्ध करनेके लिए वर्णो के आगम
व्यत्यय, लोप आदि आवश्यकतानुसार किये जाते दै ।
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