जीवन सुधार की कुन्जी | Jivan Sudhar Ki Kunji
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
166
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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(१७) थोड़ा युद्धि परमवरेलिपे क्षगाद्येगा, इसमे फो दका
भी आपको खर्च नहीं है ।
( १८ ) घर और सन््तानकी कितती चिन्वा है १
{ १६ ) क्या उतना आपकी खुदको फी
(२० ) इस पापारम्मका फल कौन सुगसेगा ?
(२१) क्या छद्दफायके जीदको मानते हो ?
८२० ) रोज कितने जीवोंसे यैर বা ই?
( “६ ) उस धैरसे कसे मुक दोध्रोगे ?
( २४ ) एक रोटोफा फवल फैसे यनता ই?
(२५) रोटीका एक फवल्त खा जानेमें कितने जीयोकी हिंसा
द्लोती है ?
(९६ ) यद् लो नवीन मकान थनाया है, उसमें फोन रहेगा
इसमें फितने रथ्यो, पानो, चपि, हया भौर च्रसजीयोंफा सारम्म
हुआ ? ( मकान यनातेमें हुखारों झयये क्षणे, थे फिसने घोरपापसे
मनुष्य समूहको चूसफर ह्ट्टे किये हैं ? यद गरीग्रोंके खून भौर
दृष्टियोंसे घुनी हुई दयेत्ती है यह फिनना खुद देगी १ )
(८ २७ ) म पापका फल फीन सुगतेगा ?
( २८ ) फ्या ससारीफों पाप फरनेसे पाप नहीं लगता है ९
( २६ ) क्या ससारीफो सप अपराध माफ हैं ९
( ६० ) ्रापमें एवनी । फोमरवा कासे आई! (फि तप
संयमपालनमें कायरता दिखलाते हो । भादीयिष्छपरेलिए पोर परि
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