यथार्थ आदर्श जीवन | Yatharth Adarsh Jeevan

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Yatharth Adarsh Jeevan by बाजपेयी मुरारि शर्मा - Bajpeyi Murari Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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* बिहम्दन जीवन ও ~----------------~-~------------------------------ चूके तो पाश्चात्य सम्यताफे पंजेमे जकड़े जाकर अपनी सत्ता तक पतो चैंठेंगे | इसी प्रफार भूमए्डऊफ्की कितनी द्वी जातियां एक दूसरेकी सम्यताफों गले लगा संखारसे -टुपत दो गयो जिनका आजदिन नामोनिशान तक संखारमें नहीं दे ! प्यारे ! ऐसी स्थितिन आने दें, इसीमें आपकी प्रशंसा है, अन्यथा सम्य जगते भाप निन्दा व घुणाफे पात्र होंगे । . अय ज़रा नकलके खाफेफों सूथ ध्यानले देणिये, ताकि आपको सपने जोवनका पता रगे कि वद कैपता जीवन ट भौर उससे मन्ुष्यताका गला फदांतक घोंटा गया मौर्धोटाजा रहा है, देशोन्नति्में फदांतक याघा पहुंच चुफी है और पहुंच रदी है, फर्च॑व्य-क्षेत्र फद्दांतक संकीण दो चुफा है और हो रद्दा है। - चैयक्तिक नफलका चित्र मारंभमें ह्टी यहुत ही संक्षिप्त रूपमे मापके सामने पेश है, पर हां, घरकी सज्ञावटका-उल्लेण किया जावा है मौर उसका प्रभाव जीवनपर जैसा पड़ता है उसका भी दिग्द्शन फराया जाता है | घंरका आगेवाला भाग एक छोटेसे नजरबागसे बड़ा दी 'खुदावना दिखाई पड़ता है, जिस्म नाना प्रकारके लोक चक्ष जिल रहे हैं. और गमछे इस प्रकार सजाकर रक्ले गये हैं कि सानों किसीने ग्रहका उनके स्थापन द्वारा वड़ा ही मनोर शङ्कार 'किया हो, जिनके पुष्पोंसे चद्दांकी हरियाली आंजोंको घड़ी रोचक जान पड़ती है। आगे बढ़फर फई कुत्ते जो शरोरसे छूब লীই ताजे हैं दिखाई पड़ते हैं, जिन्होंने सारे गहफो अपने पदर्पण द्वारा




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