बुन्देलखंड क्षेत्र में बालिकाओं के शौक्षिक | Bundelkhand Kshetra Mein Balikaon Ke Shaushik

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Bundelkhand Kshetra Mein Balikaon Ke Shaushik by नीरज मिश्रा - Neeraj Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(4) मध्यकाल और स्त्री शिक्षा - प्रारम्भ में मुस्लिम शिक्षा शहरी क्षेत्रों तक सीमित रही । मुस्लिम काल में प्रारम्भिक शिक्षा मकतब में दी जाती थी । मकतब इस्लामी प्राथमिक शिक्षा का उद्देश्य बालक को 3 आर.एस. पढ़ाना, लिखाना, गणित की शिक्षा देना तथा ऐसी धार्मिक प्रार्थनायें सिखाना था, जो प्रतिदिन की जाती थीं या जिनकी धार्मिक उत्सवों भें आवश्यकता थी । भारत में मुगल साम्राज्य ने शिक्षा को बहुत प्रोत्साहन दिया । भारत में बाबर मुगल साम्राज्य का प्रथम बादशाह था । यद्यपि वह स्वयं विद्वान एवं कवि था । तथापि अपने अल्प शासन काल भ [1526-30 शिक्षा के लिए कुछ भी न कर सका । हुमायूँ ने अवश्य दिल्ली में एक विशाल मदरसा निर्मित कराया । हुमायूँ के मकबरे में भी एक मदरसा खोला गया । मुगल सम्राटों में अकबर महान [1556 - 1605] था । यद्यपि वह स्वयं निरक्षर था, परन्तु बहुत होशियार था । उसने बहुत से विद्यालयों व पुस्तकालयों की स्थापना करायी । उसने हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों प्रकार की शिक्षा को प्रोत्साहन दिया । जहाँगीर 11605-27] भी शिक्षा प्रेमी था। उसने राजाज्ञा जारी की थी कि जो धनवान नागरिक बिना उत्तराधिकारी छोड़े हुए मरेगा, उसकी सम्पति शिक्षा की उन्नति हेतु राज्य में मिला ली जायेगी । शाहजहाँ 11628-58| ने शिक्षा के क्षेत्र में कोई विशेष उन्नति नहीं की, परन्तु अपने पिता और दादा द्वारा किये गये कार्य को बनाये रखा । उसकी पुत्री जहाँआरा ने एक मदरसा आगरा में बनवाया । शाहजहाँ का पुत्र दाराशिकोह उच्चकोटि का विद्वान था । उसने उपनिषदो, भगवद्गीता, योग॒ वशिष्ठ व रामायणं का अनुवाद किया । औरंगजेब [1658 - 1707] ने केवल इस्लामी शिक्षा को प्रोत्साहित किया । औरंगजेब के ही समय से मुगल साम्राज्य का पतन प्रारम्भ हो गया । मुगल साम्राज्य में मध्यम वर्ग की बालिकाओं के लिए शिक्षा का कोई विशेष प्रबन्ध नहीं था । उनकी प्रारम्भिक शिक्षा उनके माता-पिता द्वारा ही दी जाती थी । बचपन में उनको बालकों के साथ पढ़ाया जाता था । जब वे बड़ी हो जाती थीं तो उनको घर पर ही पढ़ाया जाता था । उनके पाठ्यक्रम में भी 3 आर.एस. की व्यवस्था थी । कुरान की शिक्षा प्रारम्भिक स्तर




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