भारत एवं श्रीलंका - अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में एक अध्ययन | Bharat Evm Srilanka Antarrashtriy Sambandhaon Men Ek Adayayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
77 MB
कुल पष्ठ :
363
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अत: भारत अपनी लुरक्षा की दृष्टि के कारण श्रीलंका के त्ाथ तदैव मैत्रीपूर्ण
सम्बन्ध स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील रहता है | भारत का सदैव यह प्रयास रहता है कि
उत्तका यह पड़ोती देश कहाँ विप्रव की महाशक्तियाँ का शिकार न ही जाये, क््यौकि संयुक्त
राज्य अमैरिका डियागोगार्तिया पर अपना अधिपत्य स्थापित करने के बाद त्रिकौमाली पर दृष्टि
लगाये है । डियागोगार्तिया ते त्रिकोमाली की समीपता के कारण महाशक्तियाँ श्रीलंका को अनेक
प्रकार के प्रतोभन देकर इस सामरिक उपनिवेश की प्राप्ति के लिये प्रयत्नशील रहती है । श्रीलंका
भें किमी विदेशी शक्ति की उपच्धिति के कारण यह द्वीप केवल भारत विरोधी गतिविधियाँ का
केन्द्र नहीं रहेगा, वरन त्म्पूर्ण दक्षिण शशिया की अशान्ति के लिये मैनिक पड़ाव बन जायेगा |
परिणामस्वरूप श्रीलंका के अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो जायैगा | भारत एवं श्रीलंका
दौनौ के सामरिक हित समान ই । दोनों देशों की भू-सामरिक स्थिति दौनों देशों की एकता,
अखण्डता .. एवँ सार्वभौभिक तत्ता की रक्षा के लिये सुद॒द एवं मैत्रीपर्ण तम्बन्ध कायम रखने
के लिये मार्ग दर्शन कराती है ।
भारत अपने इत दक्षिणी. प्ड्ौसी से अपने दूरगामी हितों को ध्यान में रखते
हुये भत्रीपूर्ण सम्बन्ध चाहता है, व्योमि श्रीलंका भ उत्पन्न राजनैतिक अत्थिरता भारत के
लिये अनेक समस्यायें उत्पन्न कर सकती हैं | श्रीरलका म अग्नान्ति एवं अस्थिरता के कारण
अनेक तमिल श्रीलंका से भारतीय भू-भाग मैं आ जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत पर
सामाजिक, आर्थिक एव॑ राजनैतिक बोझ बढ़ जाता है । श्रीलंका में यदि अधिक समय तक अशान्ति
भारत विरोधी गतिविधियाँ লা आधार बन सकता दै, जितमें भारतीय तुरक्षा कौ खतरा उत्पन्न
हौ सकता दै । भारत इसीकारण स्थायी एवं अखण्डित श्रीलैका का पक्षधर ই तथा श्रीलंका ओँ
एकता एवं अखण्डता के त्धायित्त के লি भारत निरन्तर प्रयत्नश्ील रहता ই |
भारत एवं श्रीलंका की आर्धिकि स्थिति दौनौँ देशों को परस्पर मैत्रीय सम्बन्धोँ
मैं वृद्दि के लिये प्रेरित करती है। प्राचोनकाल से ही श्रीलंका भारत पर आर्थिक रूप ते निर्भर
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