बुन्देली लोक साहित्य में मिथकीय प्रयोग | Bundeli Lok Sahity Men Mithikiy Prayog

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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व्धियवा तिनी देवी घ्य से बहुत कुछ तम्बन्ध रखता है । “एक दन्तकथा के उततार त्प त्ति काशी ॐ गहरवार दंशति मानी ग्हद,जो भक्तन रामे पुत्र कुश के वशा त्मज माने जाते है । कहा जाता है कि लवदके व्राज क तराज ने লী কী तलाह मे अ्राभ गहों की शान्ति करवाई जितम पह गहमिवार वा “गहरवार कहलायें । *एनताई किलोपी डिया 'ज्लिटिनिनका” में भी बन्देतो নি को गहरवार अथवा चन्वेवर्वेशिय माना गया है 1 जब महाराज हेमकरन या वीर पंचम छीने हुये हा ज्य प्राप्ति के लिये कियवा त्नी देवी को प्रसन्‍न करने के लिये आत्मोर्त्ता हेत तलवार उठाई तो मल्क मर रवरौच लगने के कारण रक्तङ्ा एक घी पर आ गिदा । फलस्वस्य वीर पचम कौ तन्तति “बुन्देला শি पिच्यवासी हौ जौनि , हन्देते [क्योंकि बिन्दु ते बंद और बन्द होना कोड इससे स्पष्ट है कि गहरवार লা | उदाहरणा थे पहाड़ पर रहने वाले पहाड़ी, भारवाड़ ने वाले “आरवाड़ी, तथा सेह पर्वत पर रहने वालि बेल, कलाय । हन्त राजपूतों का शासन इस अ-भाग पर अकि समय त्क रहा, इत्ते इतका नाम , जौ स्वाभाविक ही हे, यह प्रवति अन्य हैत्नों के नामकरण मे এব... ০০ जकः दहा शो कमण दोर शाः चवि स बाम चदे शदः चणय) मदिः शिन तिमि धः शितो भीमः कमः को दीनि वः भके पड दतेन 1.8... 3 8.1.8१8 3) 9... 1 জন ই খর কজন জটিল উতর উঠানে 2 12. मध्पयणीन भारत, भाग 3, पृष्ठ ५१ 13. बन्देनख्ड का इ तिहासनप* गोरेलान तिवारी पृष्ठ 118 1+ एनताईकिलो पीडिया स्िटनिका,खछड ५, पुषटठ 382, 15. प्रथमहि राज आपने पायो । परमन मौगनह्ार कलायो यह कह हाथ माथ पर राजे । पुहिमी प्रगट बन्दता সাতে || घत्रकाग, तमादक, गया म॒न्दर दा त, ना - प्र तन काशी पृष्ठ 7




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