गृह विधान | Grih Vidhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
25 MB
कुल पष्ठ :
336
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बनाने की जहूरत दिन पर दिन बढ़ती ही जाती है। इसलिए कुछ अपवादों को छोड़कर नये
सिरे से ही मकान बनाने का निर्णय करना ही उचित है। इस तरह का निर्णय होने के बाद
गांव या शहर में मकान बनाना या शहर के बाहर बचाना यह प्रश्न उपस्थित होता है!
आधुनिक शहर का जीवन ओर शहर, आरोग्य के लिए इतने ज्यादा हानिकारक हो गयें हैं
कि साधारण तौर से बस्ती के बाहर ही मकान बनाने के निय के सिवाय दूसरा कोई
निर्णय उचित नहीं हो सकता।
रुढ़िचुत्त ( प्राचीन प्रथा से चलने वाले ) कई पुराने ख्याल के लोग बस्ती के भीतर
मकान बनाने के लिए रक्षा ओर बचाव का कारण बताते हैं, परन्तु ये कारण आजकल की
परिस्थिति में लागू नही होते। विशेषकर हवा-अकाश के कारणों के सिवाय वायुयानों से
गोलाबारी (9078707 ०00) की सम्मावना से सी हरएक देश में अलग अलग मकान बनाने की
प्रथा या रीति अख्तियार की गई है। राष्ट्रीय- स्वास्थ्य के विशेषज्ञों ने कई आधारों पर यह सिद्ध
किया है कि आधुनिक शहर के जीवन से शहर के लोगों कै सनायु श्रौर मज्जातंन्पु
(7९7ए०7७ 5ए४८77) पर इतना बुरा असर होता है कि यदि शहर की धूमधाम ओर
वातावरण से दूर खुले मेदान में रहने की व्यवस्था न की जाय तो व्यक्ति की कार्यशीलता या
आयुष्य अथवा ये दोनों कम हो जाते हैँ । खुली हवा में रहने पर इतना जोर देने की
इसलिये आवश्यकता हैं. कि समाज का अधिकांशभाग इस सम्बन्ध मे अमी सी रुढ़ि-ग्रस्त याने
लकीर का फकीर बना हुआ है ।
हां, यह तो प्रत्यक्ष ही है कि शुरू शुरू में कोई भी नई बात में अग्रये को तकलीफ
होती ही है, परन्तु संसार के हरएक भाग मे नगरविधान पर जिस तरह नये सिरे से ख्याल करने
की लहर उठी है, उससे प्रत्यक्ष है कि शहर के बाहर रहने वालों की जरूरतों पर दिन
पर दिन विशेष ख्याल दिया जायगा । कोई सी संस्कारी या अच्चतिशील संस्था को इन
जरूरतों की अनिवार्यता प्रतीत होगी ही ओर वह इस अनिवायता को बहुत समय तक नहीं
टाल सकेगी । इसलिए ऐसी वातों में अगुग्या होने वाले को भी किसी तरह से पीछे पछतामे
का कारण रहने की सम्भावना बहुत कम है।
कभी कभी शहर के बाहर रहने के लिए जमीन का पसंद करना कठिन सवाल होनाता
है। कभी कभी तो पड़ोस के ऊपर ही इसकी पसंदगी करना निभेर होता है, यथार्थ में ऐसा
ही होना चाहिए। अच्छा पढ़ोस हीं हर प्मय का साथी या सहायक हैं। जमीन पसंद करते
समय निम्न-लिखित वातों पर विचार करने की भी आवश्यकता हैं:---
१ पास पड़ोस,
२ सुहल्ला,
३ दैनिक आवश्यकताओं के स्थानों से अन्तर,
২
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