भारतीय शिक्षा का इतिहास | Bharatiy Shiksha Ka Itihas

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Bharatiy Shiksha Ka Itihas  by प्यारे लाल रावत - Pyare Lal Rawat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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वेदिक कालीन शिका | | * ৬ विकास में लग गई | यद्यपि मृत्यु उनके भय का कारण तो नहीं थी तथापि मृत्यु तथा संसार में आवागमन से मुक्ति पाने के लिये उन्होंने एक चिरंतन श्रीर्‌ स्थायी जीवन की कल्पना की [८ जगत उत्हें मिथ्या लगा श्रौर जीवन का एक मात्र सत्य प्रतीत हुआ इस जीवात्मा का परमात्मा में विज्लीनीकरण | इस प्रकार शिक्षा का उदद श्य ही चित्त-बृत्तिनिरोध' हो गया। /८ भ ५ 9 श प्राचीन काल में विद्यार्थी इस जगत के सम्पूर्ण विज्ञव और विद्रोहसे पर प्रकृति की रमणीक गोद में अपने शुरू के चरणों में बेठ कर इस जीवन की सूमच््याश्रों का श्रवण, सनन और चिन्तन करता था। पव॑त की चोटी. पर पड़ी हुई प्रथम-हिम कशिकाओों की माँति उसका जीवन पवित्र था। जीवन उसके लिये प्रयोगशाला थ । वह केवल पुस्तकौय शब्द-शान हो ग्राप्त नहीं करता था, अपितु जन-समुह के सम्पक में श्राकर जगत व 'समाज का व्यावहारिक शान उपलब्ध करता था | “सत्य की केवल मानसिक अनुभूति, एक तकपूर्ण विचार- धारा पर्याप्त नहीं, यद्यपि प्रथम सीढ़ी के रूप में एक उद श्य चिन्दु के समान श्रावश्यक्र है ।% श्रत्व प्राचीन भारतीय विद्यार्थी ने प्रत्यक्ष रूप से महान सत्य की अ्रनुभूति की ओर समाज का नर्माण उसी के अनुरूप किया | द विद्यार्थी का गुरु-एद्द पर रहना तथा उसकी सेवा करना अनूठी भारतीय परम्परा है। इस प्रकार निकटतम सम्पक में आने से विद्यार्थी के अन्दर ~ स्वाभाविक रूप से ही गुरु के गुणों का -समावेश हो जाता था। विद्यार्थी के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये यह श्रनिवाय था, क्योंकि गुरु हो आदर्शों, परम्पराश्रों तथा सामाजिक नीतियों का प्रतीक था जिसके मध्य में रह कर उसका पालन-पोषण हुआ है | ऐसी अ्रवस्था में विद्यार्थी का गुर के साथ निकटतम सम्पक सम्पूण सामाजिक परम्पराश्ों से विद्यार्थियों का साक्षातूकार करा देना था। सं ड ग्रतिरिक्त भारतीय शिक्षा-प्रणाली की एक विशेषता यदह | शक जीवनोपयोगी थी. । गुरु-णह में रइते हुए. विद्यार्थी समाज के गह-का्यों को करना उसका कृचंब्य समझा जाता था । इस प्रकार न बह केवल गृहस्थ होने क शिक्षण ही पाता था, अ्रपितु श्रम का गौरव-पाठ तथा सेवा का पदार्थ-पाठ पढ़ता था। गुरू की गायों को चराना तथा श्रन्य प्रकार से गुरू की सेवा करने से एक श्रध्यात्मिक लाभ भी विद्यार्थियों ১, উপাসনার উঠান: চা গার রশ .....১১১০-০ ০টি উপ ক নুহ ( २,२,२४ )




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