रिपोर्टर | Reporter
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
194
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रिपाटर वे
लेकिन ठोक-ठीक समझ नहो सका। वात उसी समय समझ में आयी
भव भेर श्चवणयन को एक जोडा कोमल हाथा ने जोरो से खोचा । पीछे
मुडकर देखा, हम लोगो को छोटी-सी गृहस्थो को एकमात्र लेडी माउन्ट
वैटेन, मेरी भाभो जी, मौजूद हैं ।
“उफ, जान निकल रहा है, कान छोड दो, माभी ।”
भा काली की जात है न | उन लोगो पर मीठी वात का असर नही
होता । रोन धोने पर भी कोई नतीजा नही निकला । तव हाँ, आजीवन
उाराबास की सज्ञा के बदले दस वरसो की सश्रम कारावास की सजा
परतो यानी दोनो कानो की जगह एक कान पकड भाभी जी मुझे
यचतो हुई ले आयो और भया के विछावन पर बिठा दिया। उसके
गंदे मरयु बाला को तरह नाटकोय मुद्रा मे गभीर स्वर में बोली,
कक पुम क्या नशे मे हो कि दरवाजे तक आकर लौटे जा रहे
ही
मैंने भो छवि विश्वास की मुद्रा मे जवाब दिया, “देटस नोट ए फैक्ट,
भाई डियर गल । तुम शकुन्तला की तरह पति के घर लौट आयी हो,
इसका मुझे पता केसे चलता १”
हैम दोनो हंस पडे | भाभो ने मेरा कान छोड दिया । लेकिन मेरी
3 कराहट देखकर भाभो को सन्देह हुआ मेरे कान में फुसफुसाकर
धातौ, भाई वच्चू, किसके साथ ?'
तुम्हारी बहन के साथ ' ॥
जी जब रोने-गिडगिडाने लगी तो मुझे सच्चो वात वानी
डी मगर उसे विश्वास नहो हुआ । सामने से चोटी को पीछे की ओर
पी हुई बोला, “तुम्हारे जैत्ा शरारतो आदमी असयार मे घुसेगा
म अतवार डना ही वन्द कर दूगी ।' ॥
सुबह-शाम ट्यूशन और उसके बोच भाभी से झगडा-टटा, मार-पीट
নন के वावजूद लगा कि दिन जे आगे बढने का नाम नहा ले रहा
' कानेज-सट्रो के होकसो के पाम खडा हा देनिकः पत्र-पत्रियाआ की
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