महाभारत भाषा शांति पर्व | Mahabharat Bhasha

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Mahabharat Bhasha by अजीत सिंह - Ajit Singh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शल््तिपव्य भाषा का सचीपत्र । १५ अध्याय विपय पृष्ठ से पृष्ठ तक ८१८३ |भीष्मजीका युधिष्ठिर से व्यासके कहेहुये चेतन्यआत्माकी उर्पा सूप आकाशादि के विचारको वणन करना, ४९५ | ४९८ ८9 का भीष्पर्जास प्रश्नकरना कि मृत्युकिसकी है ओर किस पुरुष से उत्पन्न हुई व किसकारण से संसार को मारती है व भीष्मजीका उत्तर देना, ४९८ | ४९९ ८४ |सबजीबों को दुःखी देखकर शिवजीका ब्रह्माजी के पास जाकर प्रार्थना करना, ४९९ | ४०० श्र ८५ | मृ्युका स्ीरूप दाकर त्रह्लाजी के पासजाना व सब मनुष्यों के मारने कों अस्वीकार करना अर फिर पृत्युका तप करनावर्णन) | ५०० | ५०९ ८८ य्रधिष्ठिरका भीष्पजीसे धर्मके विषय में पूछना, ४०२ | ০২ ८७ याधाष्ठरका भीष्मजंस तलाका हाल एछना, ४०४ | ५०६ << |भीप्मजीका यधिष्ठिर से तुलाधार व जानली ब्राह्मणका इतिहास वन करना, ४०६ | ५०्द ८९ |जाजली बाह्मण व तुलाधारका प्रश्नोत्तर व०, ५०८ | ५१९ ८० |जाजली वाह्मण से तुलाधार वेश्यका हिसात्मकयज्ञ व यज्ञका ह- ततांत कहना, ५११ | ५१४ ५१ |जाजनली से तुलाधारका हिन्पाकी निन्‍्दा व श्रद्धा अभ्रद्धाका बृचांत कहना; ५१४ | ५१६ , ९> | भीष्मजीका दिन्पात्मक्र धर्मकीं निन्दा करना “ “५१६ ४१७ ९३ (युक्िप्तिरक्ों भीष्यजीसे योग्यकर्मकी परीक्षाशीघ्र व॑ विलम्ब किस ৬ हारकरे पछना और भीष्मनीको चिरक्रारी ब्र,हझमणका इति- “४ „>| हास कहना) ४१७ | ४२१ ९४ मीष्मजीकों सधिष्ठिरके हिन्साधम अधर्म के प्रश्नमें द्यमत्सेन व राजा सत्यवानका इतिहास कहना, ५२१ | ५२३ ९५ | युधिष्ठिर कारभःष्मजीसे गरदस्यधय रौर योगधर्मं इनमे कौन क- स्याणदायक ये भशन करना गोर मीष्मजीको कपिलनी व गौका सम्बाद्‌ कहना, ५२३ | ५२६ ९६ |कपिलजी स्यप्रश्मनीका आश्रमों के विषय मे प्रश्नोत्तर वर्णन, | ५२६ | ५३१ ९७ | स्युमरश्मक्रा कपिलिमुनिसे ब्रह्ममार्गके विषय में प्रश्ककरना वो उन का उत्तर देना, १३१ | ४३४ ९८ भीष्मर्जीका युधिष्ठरसे कुणडधारनाम मेघको अपने भक्तकरा उप- | कार करना वणन, ५३४ | ५३६ ९९ | भीप्पजीका यथिष्ठिर से दिन्धायुक्त यज्ञी जिन्दा करन ५३७ | ५१८ १० °| भरीण्पजीका युधिष्ठिरस पाप व धर्म व मोक्ष व चेराग्य का वर्णन करना, १३५८ | ५३९ १ भीषप्मनीका सधिपष्ठिर से योग आचार का वणन करना ४३९ | ४४० भीप्मनीकायुधिप्टिरसंना रद व आसतदेवलका सम्पादवणशनकरना, | १४१ | १४१




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