बहाउल्लाह और नया युग | Bahaullah Aur Naya Yug

Bahaullah Aur Naya Yug by डॉ. जे. ई. एस्स्लेमोंट - Dr. J. E. Esslemont

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. जे. ई. एस्स्लेमोंट - Dr. J. E. Esslemont

Add Infomation About. Dr. J. E. Esslemont

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
शुभ-सचना ४ और सच्रित्रता के विषय में जो अन्धकार ससार में छाया हुआ था, वह ज्योति की किरण नहीं पा सका था। वह अन्धकार प्रभात होने से पहले के अन्धेरे का सा था, जब कि थोड़े से इने गिने दिये या वत्तियां टिमटिमाती रहती हैं और उनसे प्रकाश के वदले अन्धकार ओर भी घना माट्ूम होता । कारलाइल अपने “फ्रैडरिक दी ग्रेट” पुस्तक मे अठारहवीं सदी का दृश्य यों अङ्कित करते हैं-- “यह एक ऐसी सदी है जिसका कोई इतिहास नहीं है और नाही हो सकता है । छल कपट इतना अधिक था जो कभी था ही नहीं झूठ की इतनी बृद्धि हो गई थी कि छोग अनुभव ही न कर सकते थे कि यह झूठ है। दम्भ का साम्राज्य था | झठ लोगों की रग रग में रच गया था। अनाचारों का प्याला पूर्ण रूप से भर चुका ঘা। फ्रांस की क्रान्ति ने इसका अन्त किया। में ईश्वर का धन्यवाद करता हैं और समझता हूँ कि ऐसी सदी का अन्त ऐसा ही होना उचित था | क्योंकि उस समय बालकों क॑ समान अज्ञान की नींद में सोये अबोध मनुष्यों को जगाने के लिये एक बार फिर ईश्वरीय अवतार (ज्ञान के प्रकाश) की बड़ी आवश्यकता प्रतीत होती थी, जो कि लोगों को ऐसी बुरी दशा में इबने से बचाय |! कात्वैटादक 0170 (০700) (30०४ 1, 01791). 1. अठारहवीं सदी से तुलना करने पर बतंमान समय अन्धकार के अनन्तर प्रभातकासादै, या यों कटं कि हेमन्त के वाद वसन्त कासादै। संसार नया जीवन प्राप्न कर र्टादै, नय विचार और नवीन आज्ञाओं से भर रहा है। जो बातें कुछ समय पहले असम्भव स्वप्न की सी दीखती थीं आज यथाथ और सत्य बन रही हैं । जो सदियों में होना था, आज दैनिक व्यवहाए में




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now