स्कूलों में अध्ययन छात्रों में शैक्षणिक पिछड़ेपन का सामाजिक तथा मनोवैज्ञानिक कारणों का अध्ययन | A Socio-psycho study of backwardness among scholaristic school going children
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
106 MB
कुल पष्ठ :
285
श्रेणी :
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No Information available about Srimati Jyoti Namdev - श्रीमती ज्योति नामदेव
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)है। बालक को प्राकृतिक वातावरण के साथ अबुकूलन करना पड़ता है। थोड़ी आयु बढ़ने
साथ वह युवक सामाजिक एवं आध्यात्मिक वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित करते
समय अनेक अबुभव अजित करता है। इस प्रकार अर्नित अनुभव ही शिक्षा है । व्यापक
दृष्टि से शिक्षा के अबुसार प्रत्येक व्यक्ति शिक्षक और शिष्य दोनो ही है । इस शिक्षा
प्रकिया में नियंत्रित वातावरण का अंकुश नही होता हैं।
शिक्षा का स्वरूप :
शिक्षा जीवन पर्यन्त चलने वाली अनवरत किया है। बालक अपने वातावरण मे
प्रत्येक समय कुछ न कुछ सीखता रहता है तथा दूसयें का सिखाता रहता है। प्रत्येक व्यक्ति
एक दूसरे से. सीखता रहता है। यह सीखना- सिखाना ही शिक्षा है, किन्तु केसे सीखा
जाए इत्यादि, इन सब बातों का उत्तर पाने के लिए हमें शिक्षा के स्वरूप की ओर जाना
होगा। शिक्षा का कार्य मान औपचारिक केन्र विद्यालय में ही पूरा नहीं होता, वरन वह
अनेक प्रकार से प्राप्त होती है, अर्थात शिक्षा के अन्य रुप है, जिनके अध्ययन से शिक्षा
का कार्य चलता रहता है। शिक्षा के स्वरू्यो करे समय प्रत्यक्षता; सख्या दथा विशिष्टता के
दृष्टिकोण से अग्रलिखित भागों में बॉट सकते है- द
।.प्रत्यक्षता से संबंधित स्वरूप : 1.प्रत्यक्षता तथा 2.अप्रत्यक्ष शिक्षा
2.समय से संबंधित स्वरूप: 7.नियमित तथा अनियमित शिक्षा
३,संख्या से संबंधित स्वरूप : 1. वैयक्तिक शिक्षा तथा सामूहिक शिक्षा
এ আভল से संबंधित स्वकप: 7. औषचारिक शिक्षा तथा विशिष्ठ शिक्षा
शिश्ना की आवश्यकता :
मानव को जन्म से लेकर मृत्यु অতল तक शिक्षा की आवश्यकता रहती है प्रत्येक
समय उसका प्रभाव किसी न किसी रुप मे विद्यमान रहता ই / मानव का अस्तित्व बिना |
शिक्षा के इस प्रकार है जैसे -बिना पतवार नाव। प्रत्येक मानव के लिए हर समय हर
स्थान पर शिक्षा की आवश्यकता को बकाय नही जा सकता। अतः निम्नलिखित बिब्दुओं
से इस आवश्यकता को मानव के जीवन से जोड़ा गया हैं
1. प्रत्येक प्राणी की आन्तरिक शक्तियों को समझने के लिए.
प्रत्येक आन्तरिक शक्तियों के समुचित विकास के लिए.
प्राचीन संस्कृति तथा सभ्यता को समझने के लिए:
आधुनिक समाज की प्रकृति, आवश्यकताओं और कर्त्तव्यों के ज्ञान के लिए,
मानवीय गुणों के संचार के लिए...
গে ২. ১
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