हमारे पड़ोसी राष्ट्र | Hamare Padosi Rashtra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
21 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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पहला म्ुुन्ड लंका में ईसा से ४०० वर्ष पूव पहुँचा और उसने
लंक मे अपना आःघपत्य स्थापित किया । ३०७ इसा के पूवं
जिस समय महेन्द्र और संघमित्रा ने लंका में बौद्ध धर्म का प्रचार
आरम्भ किया; उससे बहुत पहले भारतीय शासकों ने अनिरुद्धपुरा
में अपने पर जमा लिप थे। लंका के प्रथम आय-शासक का
नाम विजय था; जिसका सम्बन्ध बंग ( बंगाल ) के किसी उद्च
कुल से बालाया जाता है। समय-समय पर उत्तरी भारत से
र्यो के दूसरे छुन्ड “१ लंका में पहुँचे और वहाँ बस गये।
विजय के समय से १६ वीं शताब्दी तक इन सिंहली राजाओं ने
लंका पर राज्य किया, हाँ बीच-बीच में दक्षिण भारत के तामिल
राजाओं ने भो लंका पर राज्य किया | दक्षिण भारत और सिहली
राजाओं की प्रतिस्पर्धा लंका के मध्यकालीन इतिहास की एक
महत्वपूर्ण घटना है। ईसा के पूवं ५०० वषं से लेकर १६ वी
शताब्दी के बीच दक्षिण भारत के चोल और पांठ्य और लंका
के सिंहली शासको के बीच कई बार युद्ध हुआ । सिंहली शासकों
ने दक्षिण भारत के हमलों को कई बार विफल कर दिया, परन्तु
सन् १०१४ में चोल राजा राजेन्द्र ने सिंहली सेनाओं को पराजित
कर लंका को अपने आ्आःघपत्य में कर लिया अर सन् १०४४ के
बीच लं चोल साम्राज्य के अन्तगंत रहा। १३ वीं सदी में
मिलो ने उत्तर लंका में एक स्वतंत्र राज्य स्थापित किया जिसकी
राजधानी जफना थी। यह तामिल राज्य बहुत दिनों तक विजय
नगर के राजाओं को कर देता रहा ।
पाश्चात्य जातियों का अगधन
अपसी मतभेद के कारण १६ वीं सदी के अन्त में सिंहली
शासन ज्ञीण होने लगा। इस आन्तरिक मतभेद से ज्ञाभम उठाकर
सवं प्रथम पुतंगालियों ने लंका पर अपना आधिपत्य जमाना चाहा
ओर थोड़े समय में उन्होंने लंका के समुद्री किनारों पर अपना
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