नेम वाणी | Nem Vani
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about नेमिचन्द्र जी महाराज - Nemichandra Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand):कलश्र् ति है और इस फलश्र् ति को निष्पन्न होती पायेंगे आपं> प्रस्तुत
कृति में । है |
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ˆ कचिवयं पण्डित प्रवर श्रद्ध य मुनि श्री नेसिंचन्द्र जी म. एक युग-
कवि थे। उनका उदय हमारे साहित्याकाश में शारदीय चन्द्रमा की
तरह हुआं । उन्होंने अपने निर्मल व्यक्तित्व और कृतित्व की शारदीय-
स्निग्ध ज्योत्स्ना से साहित्य संसार को आलाकित किया-तथा दिग्दिगन्त
में शुश्र शीतल प्रभाव को विकीर्ण करते रहे । वे एक ऐसे विरले रस-
सिद्ध कवियों में से थे जिन्होंने एक ही साथ अज्ञ और विज्ञ, साक्षर
निरक्षर सभी को समान रूप से प्रभावित किया ।.उनकी रचनाओं में
जहाँ पर आत्म-जागरण की स्वर लहरी भेतभना रही है; वहाँ पर
मानवता का नाद भी मुखरित है। जन-जन के मन में अध्यात्मवाद के
नाम पर निराशा का संचार करना कवि को इष्ट नहीं है, किन्तु वह
आशा और उल्लास से कर्मरिपु को परास्त करने की प्रवल-प्रेरणा देता
है। पराजितों को विजय के लिए उत्प्रेरित करता है।
मुनि श्री की प्रस्तुत कृति का पारायण करने पर प्रवुद्ध- पाठक की
ऐसा अनुभव होने लगेगा कि वह एक ऐसे विद्य॒ ज्ज्योतित उच्चच
अट्वालिका के बन्द कमरे में बैठा हुआ है, दम घुट रहा है कि सहसा
उसका द्वार खुल गया है भर पुष्पोद्यान का शीतल मन्द सुगंधित समीर
का भौंका उसमें आ रहा है, जिससे उसका दिल और दिमाग तरोताजा
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