भारत में आर्थिक नियोजन | Bharat Me Aarthik Niyojan
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
468
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विषय प्रवेश दे
आधिक तथा सामाजिक विकास के लिए नियोजन का प्रयोग दान्ति-काल मे
सर्वप्रथम रूस द्वारा ही किया गया ॥ योरोपीय देशो में “स्वत साहस
(0:४४ 7६८८ए०४5९) का बोलबाला था । योरोपीय तथा अमेरिकी देशो
में “हव॒तन्त्र साहत” की नीतियों ([,8155८८ एिशए४ ?0ए८९४) द्वात
उत्पादन म वृद्धि मी हुई थो । स्वतन्त्र रथं-व्यवस्या मे उत्पादन तथा उपभोग
प्र शासकीय नियत्रण अत्यन्त सीमित होता है तथा सरकार विपणि, उत्पादन
तथा उपभोग पर अदहृद्य नियत्रण रखता है अथवा माँग तथा पूर्ति के नियमों के
अनुसार झर्थे-ब्यवस्था सचालित की जाती है। रूस ने नियोजित अ्र्थ॑-व्यवस्था
की स्थापठा को और पू जीवादी प्रथ-व्यवस्था की तुलना म प्रधिक उत्पादन के
लक्ष्यों को अत्यन्त स्यूत अवधि मे प्राप्त कर ससार के प्रर्थशास्त्रियों का घ्याव
वियोजन की ओर झआाकृष्ट किया
सन् १६२८ ई० के पश्चात् रूस ने लगातार तीन पंचवर्षीय योजनाओं की
घोषणा की और इन योजनाम्रो द्वारा रूस के उत्पादन मे भ्राइचयंजनक बृद्धि
हुई, जबकि अमेरिकी, ब्रिटिश तथा फ्रासीसी अर्थ-व्यवस्था भे मूल्यों के उत्तार-
चढाव की उपस्थिति ने उत्पादन को सीमावद्ध कर रखा था। “जिज्ञासु
मस्तिष्को ते पश्चिम के स्थान पर पूर्व को ओर देखना प्रारम्भ कर दिया।
रूस की उत्पादन तथा ओद्योगीकरण के क्षेत्र भे सफलताएँ महत्वपूर्ं थी । कभी
भी किसी देश ने इतने कम समय म पिछड़ हुए कृपिप्रधान राष्ट्र को एक
आधुनिक औद्योगिक शक्ति भे परिवर्तित होने का अनुभव नहीं किया था 1 *
आाथिक नियोजन की विचारधारा का महत्व---प्राथिक नियोजन
की विचारधाश मे अयं-व्यवस्या के विभिन क्षेत्रो पर सरकारी श्रषधिवार
एवं तियस्त्रण निहित रहता है और इसके द्वारा जावबुभ कर निर्धारित फिये
गये लक्ष्यों की पूर्ति सम्भव होती है । इस विचारधारा को वीसवी झताब्दी
में निम्नलिखित घटको ने पुष्टि प्रदान की है --
(१) विवेकपूर्णा विचारधारा (२४६०॥4122( ०४८1००४)--झसके
प्रादुर्भाव स विवेक एवं विज्ञान की तुला पर ठीक उतरते वाले विचारों को स्वीकृति
अदाना करने को अति वार क्ट दु» सैति स तफ विरोपण के ऐसे
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