साहित्यकार उमाशंकर | Sahityakar Umashankar

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Sahityakar Umashankar by सत्यधन मिश्र - Satyadhan Mishr

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(५) अचायं शिवपरूजन सहाय की परम्परा ` . के उत्तराधिकारी : श्रोउमाशंकर --नन्दकिदरोर तिवारी ( भूतपूवं सम्पादक चाँद, (माधुरी, “सुधा, भविष्य, (महारथी, मतवाला, कर्मयोगी बिहार ) बिहार साहित्य की दृष्टि से सदेव उबर रहा है और यहाँ . साहित्यमनीषी, साधक और साहित्य अनुसंघायक पैदा होते रहे हैं । यहां द वाणभट्ट जैसा अदम्य प्रतिभाशाली हुआ লী विद्यापति जैसा कोमलकान्त पदावली का रचयिता भी प्रादुर्भूत हुआ और स्वर्गीय आचार्य शिवपूजन सहाय की तरह अथक साधक भी । यह क्रम अटूट रहा है और आज भी साहित्य-साधक राजनीतिक तूफानों के बीच, अपनी साधना में लगे हुए द हैं। इन्हीं साधकों में श्री उमाशंकर जी का अन्यतम स्थान है । . विगत पच्चीस वर्षों से जो अनवरत साहित्य-सेवा में लगा हुआ हो, ऐसा व्यक्ति हिन्दी जगत में गिता-चुना ही है। श्रीउमाशंकर जी की साहित्य-सेवा का रूप-बैविध्य अध्ययन की वस्तु है। वे विगत बीस वर्षोसे बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के सदस्य रहे हैं और उसके विविध कायं- क्रमों में उनका सक्रिय सहयोग रहा है। हिन्दी-हिन्दुस्तानी के इन्द्र के समय श्री उमाशंकर जी हिन्दी के पक्ष मे एक अथक प्रचारक के रूप में दिखाई पड़ते थे। साहित्य-सम्मेलन के कार्यों में सहयोग देते रहने के अतिरिक्त उन्होंने कई साहित्यिक संस्थाओं की स्पापना की है और उन्हें अबतक शक्तिशाली बताये रखा है जो अपने ढंग से हिन्दी की स्तुत्य सेवा करती रही है । प्रेमचन्द परिषद्‌ की स्थापना करके उसे अबतक जीवित




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