साहित्य हृदय भाग - 1 | Sahity Hriday Bhag - 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
90 MB
कुल पष्ठ :
222
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)% सादित्य हृदय
भीम लाद से दिशाये घधिर हो जातीं, और অতনু सेनाओं
के आगमन से देश का द्रेश उज़ाड़ हो जाता है, इसके सिचा
और न कुछ सुना और न पढ़ा। उन्हें भित्रों के झापस का
सरस सदालाप, वा वह आनन्द जो मित्रों के मिलने से होता
है स्वप्न में भी दुस्तर है । क्योंकि भेजी तो एक परम सुकुमार
लता है, ष्ट वहां कैसे उग सकती है, अहँ पर ्रान्तरिक कूट.
नीति के कीड़े सदैव उसे भक्षण करने के उद्यत रहते हैं। और
यदि ये पुरुषव्यात्र अपने पाश्वेबर्तियों से मैत्री करते तो बह
/भक्ष्यमक्षकयोःप्रीतिवि पत्तेकारणममहत्” की भाँति होती
जैसा कि बूल्ज़े ( 7०७०४ ) और टामस बेकट ( 1110188
` 88०1:61) एक समय में अपने खामियों के मित्र तथा उनके
' हृदुगत भावनाओं के वाहक थे, पर थोडे हयी कोध तथा द्वेषाभि
के उठते ही डसने उन सबके अपने चडुल ज्वाल म भस्मी भूत
कर दिया। गोट्ड स्मिय ( 6०10807 ) ने भी राक्तस श्नौर
बामन कौ कहानी मे दिलाया है कि बड़े शरीर छोटो की मैत्री
' में खदा छोटे की हानि देखी गयी है। यद्यपि मतिमान वेकन
(98001) जो अपनी विद्या और बुद्धि के कारण सदा राजाओं
ही की कृपा कटाक्ष पर निर्भर रहा, कहता है कि “लोक में
' का अच्यन्ताभाव है, विशेषतः तुल्यों में जिसकी बड़ी
. की जांती है। हां, मैत्री यदि सत्यतः कहीं है तो बड़ ओर छोट
' मे, याँ घनी ओर दरिदों में, यानी जब कि एक के भाग्य में दुसरे
का पूर्ण रूप से समावेश हो सकता है।” ऐसी भेजी तो
আহ স্ব मे जो मेती हेती है, बह होगी । किन्तु मे तो सदा
_निष्कारण ही श्रेष्ठ और জামা होती है, पर हाँ, जब इस जग
म सबको चायो अर से घेर लेते हैं, तो जिस
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