धवल ज्ञान धारा | Dhawal Gyan Dhara
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ह घवल ज्ञान-धारा
भूल-सुलया
भाइयो, देखो--कितने आश्चर्य की वात दै कि पहिले की जो पूजी हे,
उसकी तो यह आत्माराम रखवाली कर नहीं पा रहा हे, उसके लिए बेचैन
और चिन्तातुर हे कि इसकी कैसे रक्षा करू ? किन्तु नयी प् जी कमाने के
लिए, धन-सग्रह करने के लिए दोड-धूप कर रहा हे । बताओ फिर यह उसे
कैसे सम्भालेगा ?
और भी देखो--किसी सेठ के चार लडके हे । उसने वडे लके कौ शादी
कर दी । शादी होते ही वह अपने मा-वाप से अलग हो गया | उसने मा-वाप
की सुधि लेना भी छोड दिया । फिर सहायता देने और सेवा-टहल की तो बात
हो दर है। अब वह सेठ कहता है कि दूसरे लडके का विवाह करना हे । भरे
भाई, पहिले ने तुझे कौन सी सुझ-शान्ति दे दी और अपने कर्त्तव्य का कौन-सा
पालन क्रिया । परन्तु इसको कोई चिन्ता न करके दूसरे लडके का भी विवाह
কহ লিনা । विवाह होते ही दुर्भाग्य से वह भी बाप से अलग हो गया । अब बाप
दो टो करे सुप मे वचित टौ गया। फिर भी वट् तीसरे लके कौ शादी
का गयोतन रने नगा । तव किसी दितंपी बन्धु ने आरूर कहा--अरे, दौ
विवाहित लड़कों ने तुझे कौन-सा सु पहुचाया है ? कौन-सी सेवा की है
फिर भी वह कहता है कि इसे परणाना तो पड़ेगा ही। अब उसने तीसरे
तदेको भी प्रणा दिया । परन्तु वदक्िस्मिती मे उमने भी अपने दोनों बड़े
नादया जनुकर्ण क्रिया जीर णादी टोति ही मा-बाप से अराग हो गया ।
ঢল লী মানার হী কয়া নুন লিনা | ভলন অদনা जीवन पूरा दुखदायी
এবা लिया । তল সান পরল লা ही शादियां करता भी जाता दूँ और
पम्वानाप थी उरता जाता है कि मेते इनकी शादिया करके बडी भूल की दें ।
ना হানা প্র জয়া की ? तू तो चूत पर भूत करवा ही या रा है শীত এন
«3. হা হো वी । उठ नी सादी हु ठुर्त নার বান লা गया । जानी
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