उर्दू का गल्प संहिता | Galap-sansahar-mala-urdu

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Galap-sansahar-mala-urdu by श्री प्रेमचन्द जी - Shri Premchand Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनक

Read More About Premchand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( ११ 9 'ताजः, श्राबिद्‌ अली, गोरीशंकर जाल 'च्रएनर, सालिक वटालवी, लती. फुदढीन अहमद सौर चलदरम के नाम उरलेखनीय ष , पर इनमे से किसी ने भी पचास से धरधिक कष्टानिर्य नही लिखी रौर हथधर ये सद मानो चुद्धं चुप-से षो गये है । श्री घ॒ुज़ारी गवनमेंट कालेज के प्रोफेसर ये, अब आल इडिया रेडियो के उिप्टी डाहरेक्टर हैं। सीधी सादी भापा सें द्वास्य पूर्ण लेख झभोर कद्दानियाँ उन्होंने छ्षिखों औोर ज्ञो लिखा वह अब तक पत्रों में नक्तल होता श्रा रा है । 'पितरसके मज्ञामीनः नाम से उनकी कद्दानियों तथा लेखों का एक संग्रह छुप लुका है । 'ताज' साहब ने अधिक अनुवाद द्वी किये । उर्द के प्रययात मोजिक नाटक 'झनारकज्नी' के जेखक के नाते वे प्रसिद्ध हैं। कद्दानियों मौलिक उन्होंने दो-एक से ज्यादा नहीं लिखो ; परं भपा पर उन्हें अधिकार £ালিল हे झीर उर्मि लो रसुदाद्‌ भी किये वे भी उध्प कोटि के ष । লিলা ভজন? কী লাম আল द्वास्य-रस की कहानियों আঘক্ষী यहुत लोकप्रिय हुई हैं । झाविद झली ने कट्टानियाँ तो बहुत लिखीं पर छघनके प्ज्ञाट झंग्रज्ञो कष्टानियो से किये गये ह्वोते थे । ऐसा करने में वे कितने हास्यास्पद्‌ वन जाते रहे, इसका एक ठदाहरण देखिये। एक अग्नेज्ी कहानी से गपु श्चनारकिस्ट एक डाक्टर से दैज्ञा के क्रिमियों की शोशी उठा जे जाता है, ताकि उसे चश्मे में डाल दे और नगर-निवासियों को तथाह कर दे । डाक्टर को पता लगता है तो वह नंगे घर उसके पीछे भागता है, उनकी पत्नी उन्हें हस तरद घबराये हुए भागते टकर छर से उनके पठि भागती है ।? इस्री कहानी को श्री सपिद अलीने उर्दू का जन्मा पढनाया यो पान्न मुखक्षमान रख दिये और बाक्की रश्य पैसे का चैसा रख दिया। নম সুজ गये कि चाहे ক हो जाय उदार विचारों की मुस्लिस नारी कभी इस तरष नंगे व;




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now