दुनियाँ का दसवां आश्चर्य अणुशक्ति | Duniya Ka Dasavan Aashchry Anushakti
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
108
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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तो फिर, क्या जिस यूरेनियम परमाणु का विखंडन या विघटन सन् १६३६
में किया गया, उसको कल्पना २५०० वर्ष पूर्व हो कर ली गई थी ? परमाणु
के सम्बन्ध में यह সবি प्राचीन घारणा, जो भाज के यैज्ञानिको की प्रयोग-सिद्ध
धारणा के धहुत छुछ भ्रनुकूस है, सुसरेशिम्रस के माद १५०० वपो तक
दाशंनिको के गम्भीर विचार का विषय नहीं रही |
यकायक, १६वीं दताब्दी के नव-जागरणकाल में, जादू की तरह यह फिर
उद्धूत हुई । इस बार यह एक भपं-वैज्ञानिक प्रयास, जिसे कीमिया नाम दिया
उमके रूप में उद्मूत हुई। फीमिया का भुख्य उद्देश्य धा--सस्ते घातुपो को
स्वर में परिवर्तित करना स्ौर योवन के स्त्रोत का निर्माण करना। इन तथा
कयित दिचित्र सूत्रो फो खोज के प्रयास का प्राघार भी डेमोक़िटस भौर
लुसरेशिप्रस के हो सिद्धात थे--कि पृथ्वी भोर इस पर को सभी वस्तुएं एक
स्वाभाविक गणितीय नियम के भनुसार संचालित होती है भौर धास्तविक तत्व
प्राशविक वणो से बना होता है ।
धाषुनिक रसायन काल वा प्रारम्म उस समय से हुप्रा जब कि राबर्ट
ब्वाएल नामक एक पझंग्रेज ने, विभिन्न ट्रव्यों के मिश्रण से एक नये द्रव्य के बन
जाने का वारण, यह दताया कि एक प्रकार के परमाएु भपना रास्ता दूद कर
दूसरे से संलग्न हो जाते हे । उसी तान्दी में सर धाइजेक न्यूटन ने जब पपने
गुरुत्वाकपंण के सिद्धात का प्रतिपादन किया घो उन्दोने भी परमाणो का दूमरे
परमाणुप्रो के साथ संलग्न होने के सिद्धात वी पुष्ठि को । न््यूटन, जो इ्लेंड के
इंम्दिज विश्वविद्यालय के स्तातक थे भौर दाद में वहां गणित के प्रशिक्षक हो
गये । उसने धपनी पुस्तक “फिलोसेफो नेतुएलिस प्िसीपिया मैं बमेटिका” (गणित
» स्वाभाविक सिद्धान्त-दर्शन) में यात्रिक शक्तियों के ब्यवस्पित सम्दन्ध को
समझाया। बुछ लोग दस पुस्तक धो इतिहास में सर्वाधिक वैज्ञानिक महत्व बी
पुस्तक मानते है पोर इसे न्यूटनवादी यात्रिक-त्रियाप्रो के सिद्धांत के ग्रंथ रूप
में मादा जाता है। म्यूटन ने दताया कि युरत्दागर्षण, विद्युत भौर घुम्दक
दी दावितयों बा प्रसार बडी दूर-दूर तक होता है। साथ हो उसने यह भी
बढाया कि इनके सिदा छोटेन्छोटे कणों के रूप में दूसरी दाढित्ं भी हो सकती
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