श्री स्वामी रामतीर्थ उनके सदुपदेश भाग 2 | Shri Swami Ramtirth Unke Sdupdesh Bhag-2
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जीवन -चरित. *
राम.एक प्रतिभाशाली हिन्दू हैँ और उनसे मैट হীনা আক
सौग्म की यात दे। थशोकियों के राजकीय विश्वविद्यालय के
संस्कृत कालेज के अध्यापक टका कुटस ने कद्दा था कि राम
के सिधाय किसी दूसरे वास्तविक भारतीय तत्त्ववेत्ता के दुशन
सुभे नहीं हुएए। ऐसा उनका प्रेम था। भारत लोटने पर मथुरा
के उनके कुछ भक्कों ने एक नया समाज संगठित करने की
সাধনা জী শী । राम ने यद कद्दते हुए कोरा जवाब दिया कि
भारत में जितनी सभाये फाम कर रही हैं, वे सब मेरी दी
सभाय॑े हैँ और में उनके द्वारा काम फरूँगा।इस समय
उन्दने दर्पोन्मत्तं दोकर नेन्न झूँद लिये, प्रेममय आर्लिगन फे
चिहस्वरूप अपने हाथ फेलाये, और अश्रुपात करते हुए
नीचे लिखे शब्द कहे, जिनसे उनके मद्दान् विश्वव्यापी प्रेम
तथा मद्त्तर आत्मिक मानता पर बड़ा प्रकाश पड़ता हैः
“दता, दन्द, पारसी, श्रा््यसमाजी, सिख, मुसलमान
और वे सभो जिनकी नस, श्रस्थियां, रक्त शरोर मस्तिष्क की
ख्यना मेरे प्रिय इश्देंच भारत भ्रमि का अन्न श्रौर निमक
खाकर हुई दे, वे सब मेरे भाई हैं, नहीं, मेरी श्रात्मादीद।
कह दो उनसे मे उनका हूँ। में सब को आलिगन करता हूँ।
में किसी को परे नहीं करता। में प्रेम हैँं। मकाश की भांति
प्रेम हरेक बस्तु और सब को प्रकाश के चमत्कार से सज्जित
करता ই। सत्य डी सत्य म. সম की कान्ति श्रोर प्रवाह के
अतिरिक्त ओर कुछ नहीं हूँ। मैं सब से सुमान प्रेम करता हैँ ।”
হলি घनघोर मेघ घेरि के गगन मंडल, बड़े २ बूंदन सो प्रेम बरसावेंगे।
साइस बढाय क करि हे भर्तिरोध कोञःवांह धरे वाको वाही भरेम मे म्दवदेगो॥
सभाये बडी आओ भारत समुदाय जेते,उनसो कदापि नाही बिकूग बनावेंगे।
शक्तियां हैं जीन स्वागत सभीकी आज;शान्ति सुख प्रेसकी बहिया वहावैंगे ॥
राम विचित्र पुरुष थे। ये वर्तमान और भादी मानव-
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