जयपुर नरेश की इग्लैंड यात्रा | Jaipur Naresh Ki England Yatra

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Book Image : जयपुर नरेश की इग्लैंड यात्रा  - Jaipur Naresh Ki England Yatra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यूरोप निवासी तो इल जयनगर की इसकी सुन्दरता के कारण हिन्दुस्तान का पेरिस कहते हैं । आए उनही सहाराज रापसिंहुज्ली के उच्तराणिकारी हैं कि जो ह्य हुनर के पूरे कररदान थे । दहु स्वभाव के गम्भीर रही मिन्‍्नाबी और अत्यन्त बुद्धिमाद्‌ धे । उन्होंने क सुखक (छए ईयासत ल अनक उत्तत्षकाये वह शहर जयपुर को ओर भी सुन्दर बनाने के रह क त॑राङ का^ कए) ই जूर महाराजा साहिब बहादुर ने ऐसे प्राचीन प्रसिद्ध तथा उच्च क्षत्रियवंश में शुभ मित्ती भाद़ों बद़ि नवसी ९ सम्बत्‌ १९१८ मुताबिक तारीख ३१. अगस्त | ` १५६१ ई. स्थान इसरा में जन्म लेकर ओर | 5 महाराज शमसिहर्जी के वेछुण्ठ बासहोंने पर एवेक्त । 2, 7 8 29 ९, श्ध्वे গু 31) - बा. < हो? 4 9 > व ६ न १ २ (390:ए- 7 भपआा७काएथ्काक:-मकरमता कन्या জজ পাই ভা सतया শসা পয ৫০9 प्‌ ठिकाने से गोइ आकर ता. २९ सितम्चर सन १८८० इ. को राज जयपुर के राज्य सिंहासन को सुशोमित किया और | | उस समय से अवतक वर्मसाग में स्थित रहतेहुए जो कर्तव्य |. - | पालन किया है वह विश्व में विख्यात है । आप भी रघुकुलके | | प्राचीन प्रसिद्ध पूवजे। के समान एकही सर्यादा पालन करने वाले हैं আল লাস ক चारों अङ्ग पितृभक्ति, गुरुमक्ति, इश्वर | भक्ति और राजभक्ति का भलीप्रकार पालन किया है । वर्तमान লব आपके सदृह राजभंक्त तथा इंश्वरभक्त बहुत कम राजा नज़र आते हैं| सरकार गवर्मेन्टने भी आपके अदढल राजभक्ति और सुप्रदन्ध से प्रसन्न होकर आपको समय २ पर अनेक उपाधियों से विभूषित कियाहै। इसही कारण শক সস তা পাপ সা 3 ।




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