जयपुर नरेश की इग्लैंड यात्रा | Jaipur Naresh Ki England Yatra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
170
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यूरोप निवासी तो इल जयनगर की इसकी सुन्दरता के
कारण हिन्दुस्तान का पेरिस कहते हैं । आए उनही सहाराज
रापसिंहुज्ली के उच्तराणिकारी हैं कि जो ह्य
हुनर के पूरे कररदान थे । दहु स्वभाव के गम्भीर
रही मिन््नाबी और अत्यन्त बुद्धिमाद् धे । उन्होंने
क सुखक (छए ईयासत ल अनक उत्तत्षकाये
वह शहर जयपुर को ओर भी सुन्दर बनाने के
रह क त॑राङ का^ कए)
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जूर महाराजा साहिब बहादुर ने ऐसे
प्राचीन प्रसिद्ध तथा उच्च क्षत्रियवंश में शुभ मित्ती भाद़ों बद़ि
नवसी ९ सम्बत् १९१८ मुताबिक तारीख ३१. अगस्त | `
१५६१ ई. स्थान इसरा में जन्म लेकर ओर |
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महाराज शमसिहर्जी के वेछुण्ठ बासहोंने पर एवेक्त
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ठिकाने से गोइ आकर ता. २९ सितम्चर सन १८८० इ. को
राज जयपुर के राज्य सिंहासन को सुशोमित किया और | |
उस समय से अवतक वर्मसाग में स्थित रहतेहुए जो कर्तव्य |. - |
पालन किया है वह विश्व में विख्यात है । आप भी रघुकुलके | |
प्राचीन प्रसिद्ध पूवजे। के समान एकही सर्यादा पालन करने
वाले हैं আল লাস ক चारों अङ्ग पितृभक्ति, गुरुमक्ति, इश्वर
| भक्ति और राजभक्ति का भलीप्रकार पालन किया है । वर्तमान
লব आपके सदृह राजभंक्त तथा इंश्वरभक्त बहुत कम
राजा नज़र आते हैं| सरकार गवर्मेन्टने भी आपके अदढल
राजभक्ति और सुप्रदन्ध से प्रसन्न होकर आपको समय २
पर अनेक उपाधियों से विभूषित कियाहै। इसही कारण
শক সস তা পাপ সা 3 ।
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