भूदान गंगा - भाग 2 | Bhudan Ganga Vol-ii

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Bhudan Ganga Vol-ii by निर्मला देशपांडे - Nirmala Deshpaande

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ठं उनिरपे लोक-शक्ति 8 उस दया से युद्ध की समाप्ति नहीं हों सकती | अगर हम लोग इस तरह की दया का काम करें, जिससे निद्धरता के राज में दया ग्रजा के नाते रह जाय | निर्द्यता की हुकूमत में दवा चले, तो हमने अपना अतली काम नहीं किया | इस तरह লী काम दया के दीख पड़ते हैं, जो रचनात्मक भी दीख पड़ते हैं, उन्हें हम दया और रचना के लोभ से व्यापक दृष्टि के बिना ही उठा लें, तो कुछ तो सेवा हमसे बनेगी, पर वह सेवा नहीं बनेगी, जिसकी जिम्मेदारी हम पर है ओर जिसे हमने ओर दुनिया ने अपना स्वधर्म माना है । प्रेम पर भरोसा में दूसरी स्प्ठ मिसाल देता हूँ । मुझे हर कोई पूछता है कि आपका वजन सरकार पर भी कुछ टीखता है | तो, आप यह क्यों नहीं जोर छगाते कि सरकार कोई कानून वना दे ओर ब्रिना मुआवजे के भूमि-वितरण का कोई मार्ग खोल दे | आप अपना वजन क्यों नहीं इस दिशा में इस्तेमाल करते !! म॑ उनसे कहता हवा कामून के मार्ग को में रोकता नहीं । अगर आप अपनी इच्छित दिशा में इससे ज्यादा ओर एक कदम सुझसे चाहते हैं, तो म॑ कह्दता हूँ कि ग मने अपनाया है, उसमें यदि मुझे पूरा सोलह आने यश नहीं मिला आने, आठ आने भी मिला, तो कानून के लिए सहलियत ही होगी। तरद एक तो में कानून को बाधा नहीं पहुँचा रह्म हैँ । दूसरे, कानून को ৯ ¢ 4 ৮৯, हल्यत भी दे रहा हूँ । उसके लिए. अनुकूल वातावरण बना रहा हूँ, ताकि कानून आसानी से बनाया जा सके | पर इससे भी एक कदम आगे आपकी दिशा में जाऊँ, ओर यही रटन स्टें कि 'कानून के बिना बह काम नहीं होगा, कानून बनाना चाहिए), तो में स्वधर्मविहीन साबित होऊँगा। मेरा वह धर्म नहीं है। मेसा धर्म तो यद मानमे का है कि बिना कानून की मदद से जनता के हृदय में हम ऐसे লাল निर्माण करें, ताकि कानून कुछ भी हो, लोग भूमि का बेंट्वारा करेँ | क्‍या किसी कानून के कारण माताएँ बच्चों को दूध पिला रही हैं ! मनुष्य के हृदय में ही कोई ऐसी शक्ति होती है, जिससे उसका जीवन समृद्ध हुआ है। मनुप्य प्रेम पर भरोसा रखता है। वह प्रेम में से पैदा हुआ है, प्रेम




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