श्रावकाचार संग्रह भाग -1 | Shravakachar - Sangrah Vol. - I

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Shravakachar - Sangrah Vol. - I by हीरालाल -Heeralal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सूची सम्यवत्वके आठ अग और उनमें प्रसिद्ध पुरुषोंका निर्देश यूत आदि सप्त व्यसनोका विस्तृत विवेचन नरकगतिके दु खोंका विस्तृत वर्णन तिर्यचगति ओर मनुष्यगतिके दु'खोंका वर्णन देवगतिके दुखोका वर्णन दजेन प्रतिमाका वर्णेन त्रत प्रतिमाका वर्णन पान, दाता, देय और दानविधिका वर्णन दानके फरूका वर्णन सललेखनाका वर्णन सामायिक और प्रोषध प्रतिमाका वर्णन सचित्तत्याग आदि छह प्रतिमाओंका स्वरूप-निरूपण उदिष्टत्याग प्रतिमाका विस्तृत वर्णन रात्रिभोजनके दोषोंका वर्णन श्रावकके कुछ अन्य कतेंब्योंका निर्देश विनयका वर्णन वै यावृत््यका वगेन कायक्ले तपका वर्णन पंचमी ब्रतका वर्णन रोहिणी, अश्विनी, आदि अनेक ब्रतोंका वर्णन नाम और स्थापना पूजनका वर्णन प्रतिमा-प्रतिष्ठाका विस्तृत वर्णन द्रव्य, क्षेत्र, कार और भावपुजाका वर्णन पिण्डस्थ ध्यानका वर्णन पदस्थ ध्यानका वर्णन रूपस्थ और रूपातीत ध्यानका वर्णन अष्टद्रन्यसे जिनपूजन करनेवाका स्वगे -सुख भोगकर गौर वहसि चयकर मनुष्य होकर कर्म क्षयकर मोक्ष प्राप्त करता है, इसका विस्तृत वर्णन - ग्रन्थकारकी प्रशस्ति सावयघस्मदोहा मंगलाचरण ओर श्रावकधमंके कथनी प्रतिज्ञा मनुष्य मवकी दुरंभता ओर देव-गुरूका स्वरूप दोन भरतिमाका स्वरूप अष्टमूल गुण-पाकूनका उपदेश सप्त ब्यसनोके दोष बताकर झनके त्यागनेका उपदेदा १३ ४२८ ४२९ ४२६ ४४० ४४२ ४४३ ठ ४४६ ४४८ ४५१ ४५१ ४५३ ४५४ ४५६ ४५६ ४५७ ४५९ ४६१ ४६१ ४६२ ४६४ द्व्‌ ४७० ४७२ ४७9३ ४७४ ४.५ धू ४८२ ४८३-५०५ ४८३ ४८३ ४८४ ४८५ ४८६




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