श्री धर्म्मकल्पद्रुम भाग 1 | Shri Dharmma-Kalpdrum : Bhag 1

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Book Image : श्री धर्म्मकल्पद्रुम भाग 1 - Shri Dharmma-Kalpdrum : Bhag 1

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयसूची । ४ विषय प्रष्टु क তু ४ নর ॥ ~ ४४०४-४ आयुर्वेद ৬৮৪৩ ০০০৬ ५०००४ ५९०५ ৪৮৬৮৪ ৪৮৫ ১৩৩ ১ 2७55 কলার ৪৪ ডা এ 5४ ५५४१५ गान्धव्येवेदः ए <न ५ 22 ভা 3৩ स्थापत्यव॒द ৪৪৬০০ ००७७ ०००५ जक 9 রাজ তি ९७३८: ৫ चषि श्र पस्लतक् ৬ `` ७४५४०-४६६ ऋषियों के श्रेणिभेद व मन्वन्तराससार संख्यानिणेय ০:8০ ऋषि का लक्षण व ज्रध्यातराज्य क उस्र আসস্িারন্ধঘন “४7 ४४५६ ज्ञानमाहिमा व ज्ञानाधार पुस्तकों का पश्च मेदनिणेय “४७६० ९5 নব রিনি स ৮55 । 0 5५ ८. | को 2, ছু सावारणधस्स आर वशुषचरूस ७६५३--७४८० साधारणपस्मे से क्रमोन्नतिवर्णन बटन ~ .* ४६७ दिरोपधस्पे का स्वरूपकथन ४ कः -*** == धह साधारणधम्पे, विरेषधस्मे व अस्ताघारणयस्पे करे प्रभेद व रहर নান ০৪৩ र * ०००१ নিলি ७७२ € ৩৪৪ १००४ ৪৬৪৪ ৮৮৪৫ वर्धस | ३८९-५७७८ =“ এ दणधस्मे के साथ प्रेरुरमयी प्रणति का लि क्‌ सस्वन्धानिणेय ४८१ उाड्भिज्ज, स्वेदज, अश्ठज व जरायुज सबंत्रही प्राकृतिक चार बण की व्यवस्थानिणंय “ण ४० চির प्रसज्ञोपात शकुनशासत्र का विज्ञान व रहश्यवर्शन ^ .. ८६ समष्टि रष मं युगष्ठुसार्‌ वणेधम्मेविपयेय का रहस्यवणंन “ˆ ४६६ जाति जन्म से है या कस्मे से इसपर विस्तृत विचार .* ५०१ वणतव्यवस्था क न रहन स क्या हान या लाभ हूं, कदल कश्परो- नुसार वरणव्यवस्था होने से या हानि या साभ है ओर जन्म वं कश्मर दोनों के अनुसार ही वखव्यवस्था होने से क्या हानि या लाभ है इस विपयो पर वेदादिप्रमाणों के साथ विस्तृत व अ- पूष विचार तथा आ्रुनिकसतश्षधीक्षा “^ ॥ ५१४ बरणेधम्मे का आदशे रखकर देशकालानसार सामझर्यविधान ५४१




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