अपने समय में जीना | Apane Samay Me Jeena
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)में व्यक्त भयावहता को कवितानुभव में बदलने की प्रक्रिया में, कल्पना, स्मृति और
संवेदनशीलता से उनकी कारयित्री प्रतिभा ने कितनी निपुणता से काम लिया-इसका
अन्दाजा उनकी कविता के स्टैनली कुनिट्ज कृत अंग्रेजी अनुवाद और नीचे दी
गई मेरी हिन्दी पुनर्रचना पढ़कर सहज ही लगाया जा सकता है-
मैं गोया हूं / नंगे मैदान का / कोटरों से आंखों के » फट पड़ने तक »
दुश्मन की चोंच से / नोचा गया हूं » मैं दुःख हूं।
मैं जुबान हूं युद्ध की / सन् इकतालीस की » बर्फ पर विखरे हुए »
शहरों के अंगारों की » मैं भूख हूं
मैं गर्दन हूं / फांसी चढ़ी औरत की / घनघनाती रही / जिसकी लाश »
सूने चौक में घंटे की तरह » मैं गोया हूँ
ओ प्रतिशोध की बौछार! उछाल दी है मैंने » पश्चिम की ओर » अनाहूत मेहमानों
की राख और कीलों की तरह/ टक दिए हैँ तारे” आक्रांत आकाश में » मैं गोया हूं ।
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