राजस्थान १९८७ | Rajasthan 1987

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Rajasthan 1987 by डॉ. मनोहर प्रभाकर - Dr. Manohar Prabhakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साल मिट्टी-यीले भूरे रंग से लेकर लाल भूरे रंग की मिट्टी पाई जाती है । यह मिट्टी अपेक्षाइत उपजाऊ होती है । 3. श्रो कालो भिट्टी--चित्तौडगढ़, भीलवाड़ा, बेटा शोर टोंक जिलो में मुस्यत्तः धारवाहियन चट्टानों से विकसित भुरी काली मिट्टी का विकास हुआ्ना है। ये परिट्टी मध्यम श्रेसी की सिचित मिट्टियां हैं ! 4, साल पीसी मिट्टी--भरावती पर्दंत के पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों मे लाल- वीली मिट्टी पाई जाती है । पहाड़ी क्षेत्र होने से इस मिट्टी की उर्दरक शक्ति कम होती है । यह मिट्टी सिरोही, पाली, उदयपुर, चित्तोड़गढ़ व प्रजमेर जिसो में पाई जाती है । भीलवाड़ा, बांसवाड़ा व चित्तोड़गढ के झुछ क्षेत्रों में मिश्रित मिट्टी पाई जाती है। 5, साधारण कासी मिट्टी--कोटा, बूदी, कालाबाड़ व सवाईमाधोपुर जिलों में काली भिट्टी पाई जाती है णो भत्पन्त उपजाऊ होती है । 6. प्राचीन कांप भिट्टी--मह मैदानी भागों में पायी जाती है मह चूना रहित होती है। भरत: सिंचाई के लिए भ्नुकूल होती है--जयपुर, टोक, प्रजमेर, प्रलवर, सीकर व भीलवाड़ा जिलों केः मेदाती भागों मे यह मिट्टी पाई जाती है । 7, कछाएरी मिट्टो--इस मिट्टी में चूना, पोटाश, फासफोरस व लोह खनिज की भात्रा होती है तथा यह राज्य की नदी घाटों, चम्बल के मैदानों-सवाई माधोपुर, वू दी, भलंवर तथा भरतफ्भुर जिलों मे पाई जाती है! यह भी सिचाई के लिए उपपुक्त होती है । 8, सियो सोल भौर रेगो सोल--प्रदेश की पहु/डियों तथा पश्चिम राजस्थान की छित्तरी पहादडियों में कंकरीली मिट्टी पाई जाती है यह मिट्टी काली छिछती होती है तथा सीमित गहराई के कारण कृषि के लिए भनुकूल नहीं होती है । घनस्पति--जलवायु एवं प्राकृतिक स्थिति के प्रनुसार प्रदेश मे अ्रलग-प्रलग , स्थानों पर झलग-अलग वनस्पति पायी जाती है 1 रेगिस्तानी पश्चिमी क्षेत्र मे जहां वर्षा का भ्रभाव रहता है। छोटी-छोटी कटीली भकाड़ियां पाई जाती हैं। जबकि दक्षिण पूर्व में मिश्रित पतकड़ तथा उच्छ कटिबन्ध मे सुन्दर वनो को देखा जां सकता है ! 1. मरुस्थलीय धनस्पति--भ्ररावली पर्वत स्यखला के उत्तर-पश्चिमी -क्षेत् भें वनस्पति बहुत ही कम व दूर-दूर कहीं कही दिखाई पड़ती है) इस क्षेत्र में दो प्रकार की स्थिति में दनस्पति की पेंदावार होती है एक प्रकार की वनस्पति वह जो चर्षा पर निर्मर रहती है तथा दुसरी प्रकार को वनस्पति वह पायी जाती है जो इस क्षेत्र के भपने धरातलीय जल पर निर्मर रहती है 1 शुष्क जलवायु के कारण पौधों कं की संख्या छोटी तथा जड़ें गहरी होती हैं | पेड़ो पट कांटे होते है 1 इस क्षेत्र मे ऊंट, ..भेष्ट व बकरियां पाई जाती हैं । ज ` 2. पभ्रढ्ध-शुष्क वतस्पत्ति क्षेत्र--सिरोही-पाती, सीकर-कऋ करत तथा बाड़मेर




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