लहर भर समय | Lahar Bhar Samay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
371 KB
कुल पष्ठ :
86
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)डुच्चा के गले बैठते जा रहे है
तार सप्तक मे अपनी चीखों को दोहराते हुए
न घड़ी रूकती है न कलेडर
अब मुटललो गाकर मुक्ति दे
होप यवनिका पतन्
नेपथ्य मे हाह्यकार के बाद)
परदे की डोरी लिपदी हे गले में
लगातार कसती
ये जाने कौन बता गया कि
आखिर में गाएगी
सबसे उत्तम गीत
है कहाँ वो २
हस ही होते
मरते चाहे गा कर
परदा तो गिरता
छुट्टी तो मिलती
गले की फासी
मुटल्लौ का गाना
घड़ी जाने कहाँ री गई
वक्त बीते चला जा रहा है)
नहर भर समय 15
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