भैया भगवतीदास और उनका साहित्य | Bhaiya Bhagvatidas Aur Unka Sahitya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
249
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'ब्रह्मविलास' की हस्तलिखित प्रति, जो मेरे प्रपितामह लाला भूप सिंहे जीने
स्वपटनार्थं तैयार कराई थी, स्थानीय जैन मंदिर के शास्त्रागार में उपलब्ध थी। तब `
तक इस प्रंथ के प्रति मेरी श्रद्धा अन्य जैन धर्मावलम्बियों की भाँति हाथ जोड़कर
मस्तक झुका लेने तक ही सीमित थी, किन्तु इसके पश्चात् इस ग्रंथ के साहित्यिक
सौंदर्य एवं दार्शनिक महत्व का अवलोकन किया तथा उसे हिन्दी संसार के सम्मुख
प्रस्तुत करने का निश्चय किया।
मैंने डॉ0 रामस्वरूप आर्य (तत्कालीन हिन्दी विभागाध्यक्ष, वर्धमान कालेज,
बिजनौर) के कुशल निर्देशन में भैया भगवतीदास और उनके कृतित्व पर आगरा
विश्वविद्यालय से सन् 1976 में शोध-कार्य सम्पन्न किया।
भैया भगवतीदास कृत अनेक रचनाएँ जैन धर्मावलम्बियों को कंठस्थ हैं,
उनका नित्यप्रति पाठ किया जाता है किन्तु उनके नाम तथा महत्व से सामान्यता
वे अपरिचित ही हैं, हिन्दी साहित्य संसार की तो बात ही क्या हे? अभी तक इस
दिशा में कोई भी विशेष कार्य नहीं हुआ है। उनके सम्बन्ध में उपलब्ध जानकारी
के नाम पर हिन्दी जैन साहित्य के इतिहास तथा जैन भक्त कवियों की परम्परा
मे उनका अति संक्षिप्त परिचय एव पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित कुछ लेख লাস ही
प्राप्त हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का प्रकाशन इसी अभाव की पूर्ति करने का एक विनम्र प्रयास
है। इस ग्रंथ मे भैया भगवतीदास के जीवन एवं कृतित्व के सम्बन्ध में यथासम्भव
विस्तृत एव गम्भीर सामग्री प्रस्तुत की गई है। यह “भैया भगवतीदास और उनका
साहित्य” का दूसरा संस्करण है। प्रथम संस्करण मित्तल पब्लिकेशन्स, नई दिल्ली
से प्रकाशित हुआ था। प्रस्तुत शोध-ग्रंथ सात अध्यायों ये विभक्त है तथा अन्त में
परिशिष्ट भाग है।
प्रथम अध्याय में भैया भगवतीदास का जीवनवृत्त प्रस्तुत किया गया है।
इस में अन्तर्सक्ष्य तथा बहिर्साक्ष्य के आधार पर यथा सम्भव उपलब्ध सामग्री का
उपयोग किया गया है तथा जैन साहित्य में भगवतीदास नाम के अनेक विद्वानों का
अस्तित्व होने के कारण व्याप्त भ्रान्तियों का निराकरण किया गया है।
द्वितीय अध्याय मे भैया भगवतीदास जी की समकालीन परिस्थितियों का
स्पष्टीकरण किया गया है। यह अध्याय चार उपविभागों मे विभक्त है- राजनैतिक,
सामाजिक, धार्मिक तथा साहित्यिक। कवि का साहित्य तत्कालीन परिस्थितियों से
किस सीमा तक प्रभावित हुआ है यही इस अध्याय में स्पष्ट किया गया है।
तृतीय अध्याय में भैया भगवतीदास जी की समस्त कृतियों का परिचय
दिया गया है। यह अध्याय सात उपविभागों में में विभक्त हैं- रूपक काव्य, दर्शन
(भ)
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