उस्ताद रजब अली खां | Ustad Rajab Ali Khan

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Ustad Rajab Ali Khan by अमीक हनफ़ी - Ameek Hanafee

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आया और भाद्व मास के हृष्णपक्ष की अप्ठमी भी उसी दित निक्रलो। चूँकि साँ साहब का नाम रजब अली खाँ था, इसलिए निद्िचत या कि उनका जन्म हिज्ी साल के सातवें महीने रजब का होना चाहिए। अन्यथा रजब अली खाँ नाम न होता। हिसाब लगाया तो रजब माह की वीसवी तारोख़ उस रोज की निकल आयी । अजीव सयोग है कि थीकृष्ण जन्माप्टमी और पंगम्वर हजरत मुहम्मद की मभराज की रात 3 सितम्बर 1874 को एक साथ आयी और खाँ साहब का जन्म ऐसे अद्भुत संयोग का साक्षी था। जन्माप्टमी को जन्म लेनेवालों में संगीतज्ञों की संस्या अधिक है। बहरहाल यह निश्चित हुआ कि संगीत सम्राद उस्ताद रजब अली साँ साहव नरमिहगढ़ में बृहस्पतिवार 3 मितम्बर 1874 ई. अर्थात्‌ 20 रजव 1291 दिखी तदनुरार भाद्रक्ृप्ण पक्ष तिथि अप्टमी 1931 विक्रमाब्द को पैदा हुए थे। कोष्डी प्रदीप नामऊ ज्योतिप ग्रन्य में लिया है : नभस्यः मापते पलु जन्म यस्य, धरो मनोज्ञश्च वरांगनानां। रपु प्रमाधौ वुटिलोःऽत्िमर्म्मा प्रपन्न मत्यं स भवेत्‌ सहासः ॥ [निमस्य मास अर्पात्‌ भाद में जन्म लेगेवालाई धीर प्रवृत्ति ढा, यर्यागनाओ का मन जीतनेवपिा, अपन स्वामी के गन का मालिक, जिन्दादिल, भौर अपने शुभं करा सहार होता है ।] और इसी प्रन्थ में अप्टमी के जातक के बारे में कहा गया है : भूपालत. प्राप्तधनः; दंग, सुसी कृपालुर्युबति प्रियश्च | चतुष्पदादयो धने घान्य युक्तः, स्यादष्टमोगो मनुजः सुधीरः ॥ [अप्टमी तिथि बो जिसका जन्म हो ऐसा व्यवित सुधीर, राजाओं से धन प्राप्त करनेवाला, प्रसन्‍्नतित्त, दयछु, युवतियों मे लोकप्रिय, चौपायों और धनधान्य मत रबामी होता है।] दुसवेः अतिरियत्र जन्मकाल में चन्द्र और बृहस्पति यय चन्द्र नक्ष्य मे, मूं तपा बुध का घुक्र नक्षत्रों गे और मगल का बुघ नक्षत्र मे अवरियित होना विचारणीय है। 3 सितम्पर 1874 को ग्रह-रियति दस प्रकार थी : ঘুষ पूर्व फाल्युमी मे चन्द्र रोहिणी मे मपल अश्मेषा में पृष्ठभूमि 117




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