शीघ्रबोधभाग 1-2-3-4 | Shighrbodhbhaag 1-2-3-4

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Shighrbodhbhaag 1-2-3-4 by श्री ज्ञान सुन्दर जी महाराज - Shree Gyan Sundar Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ज्ञान परिचय । पृञ्यपाद प्रात स्मरणिय शान्त्यादि अनेक गुणालकृन श्री मान्मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहिय | आपश्रीका जन्म मास्पाड ओसवस वैद मुत्ता ज्ञातीमे स १६३७ प्रिजय दशमिक हया था वचपने से ही आपका ज्ञानपर बहुत प्रेम था म्बस्पावस्थामे ही श्राप ममार व्यवहार वाणिज्य व्येपारमे अच्छे उलल এল (६४० मागशग घन ৫০ को आपका गियाह हुवा था दशाटन भी आपका पहुत না খা पिशाक्ष कुठुम्ब मातापिता भाइ फाका ब्विश्ातिवो त्याग कर २६ पर्प कि युवान बयमे से ९६६३ স্বর নল £ का आपने स्थानकयासीयों में दीक्षा ली थी दशागम ओर ३०० थोकडा क्ठम्थ क्र ३० सूत्रों की वाचना करी थी तप्रया ण़ान्तग छर हट, मास छामगा अति करनमे भी आप सूरवीर 4 आपका व्यास्थान भी बडाही मधुर गेचक और असरकारी था शाखत्र अउल्लोफ़न करने से ज्ञात हुवा कि यह मूर्ति उस्थापकों का पन्‍्थ स्वरपोल फ्रपीत समुत्सम पढ़ा हुवा है तत्पश्चात सर्प फ्चव कि माफीक दुद का त्याग क श्राप श्रीमान्‌ रत्नविजयजी महारास साहिय के पास ओशीयो तीर्थ पर दीक्षा ले गुर आदशस उपफेश गच्छ स्वीकार पग प्राचीन गच््का उद्घार




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