संक्षिप्त जैन इतिहास भाग 3- खंड 1 | Sankshipt Jain Etihas Part III Khand 1

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Sankshipt Jain Etihas Part III Khand 1 by कामताप्रसाद जैन - Kamtaprasad Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[११ ] इका ० अथवा एका०-हइपीग्रेफिया कर्नाटिका ( बेगलोर ) | इंए०-इंडियन एन्टोकेरी ( बम्बई )। लद॒ ०--(उवासगदसाओ सुत्त०?-४1० हाणके (31010 170108). उपुण्ब०5.पु.- उत्तर पुराण? श्री गुणभद्र[चाये व प॑.छाकारामजी | उसु०--उत्तराष्ययन सुत? ( श्वेताम्बरीय गामम प्रन्थ ) नाट कार्पेटियर ( उपसका )। ए३०-एपिप्रेफिया इंडिका? । एइमे० या मेए्‌३०-एन्शियेन्ट इन्डिया एजडिस्क्राइब्ड घाई मेगस्थनीज एण्ड ऐरियनः-( १८७७ )। एने ० -एन इपीटोम भ।फ़ जेनीज्म-श्री पूणचन्द्र नाहर ए१०९०। एमिक्षट्रा ०-- एन्शियेन्ट मिड इंडियन क्षत्रिय ट्राइल्स ? ढें।० घिमकचरण ला ( कछुकत्त। ) | एहृ०-एन्शियेन्ट इंडिया एजडिस्क्राइन्ड बाई स्ट्रेबो मक किडक ( १८०१ )। | ऐरि०--ऐशियाटिक रिसर्चेज-सर विलियम जोन्स (सन्‌ १७९९ व १९०९ )। कजाइ०-कनिघम, जागाफी आफ एंशियेन्ट इंडिपा-(कठ्कत्ता १९२४ )। कि०-- ए हिस्टी अफ कनारीज लिट्रेचर ? हैं० पी० राइस (107, 15 9. 1921). कसू ०--कल्पसृत्र मूछ ( श्वेतांबरी आगम प्रन्थ ) | काके ०--का रमाइकल छेकु१से ढें।० डी० आर० भाण्डारकार | कहि१०--केम्निन हिल्टी माफ इंडिया ऐन्शियेन्ट इंढिया, भा० १-रेव्छन ला° ( १९२२ )।




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