पुराणों में एतिहासिक परिवर्तन युग | Puranon Mein Etihasik Privartan Yug
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
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No Information available about कुँवरलाल जैन व्यासशिष्य - Kunwarlal Jain Vyasashishya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( 4१)
कालगणना को नहीं समझ संका। रद परिवर्तयुगो के सम्बन्ध में निम्न उद्धरण
से पार्जीटर की अंशक्ति और अज्ञान प्रकट होता है--
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पार्जीटर, इस सम्बन्ध मे न तो सत्य को समझना चाहता था और न ही
उसमे यह समझने की शक्ति थी, अत उसका आलोचना करना निरर्थक ही
होगा । जबकि महान् वैदिक अनुसधाता और सच्चे भारतीय इतिहासश प०
भगवदत्त तथाकथित त्रेता (--परिवते) युगसम्बन्धी अंश को नहीं समझ सके,
जैसाकि उन्होंने स्वयं ही लिखा है-वायूपुराण के बहुत से त्रेता एक ही त्ेता के
अवान्तर विभाग हैं। वायु के अनुसार आश्यज्रेता से लेकर चोबीसवबें श्रेता तक
निम्नलिखित व्यक्ति हुए--
दक्ष प्रजापति --. आख त्रेता युग में
बारह देव (भ्रादित्य) -- प्राद तज्ेता युग में
करन्धम -- त्रेता युग मुख में
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