साधारण मनोविज्ञान | Sadharan Manovigyan

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Sadharan Manovigyan by श्री राम सूरत लाल - Shri Ram Surat Lal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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নি साधारण मनोविज्ञन ४ था। उनन्‍्हांन सबसे पहले अंक-वेज्ञानिक तरीकों द्वारा व्यक्तिगत अन्तर का अध्ययल किया | गाल्टन न कुछ काम स्मृति” पर भी कया था | इस ज्षत्र में सवस नन्वपरर काय एविन्गॉस ने किया। उनके काय को 'दिशद च्यः स्मति नासके अध्याय में को जाएगी । न्न; सर्चा शताब्दी का एक्र अन्य प्र सिद्ध मनोा|वज्ञान-वेत्ता विलियम जेम्स” था। वह भी वुन्द के शमान ही प्रतिभा- शाली था। उसने भो अपनी प्रखर वृद्धि द्वारा रत्नोदिकज्ञान के लगभग प्रत्यक्त ज्षत्र को प्रभावित किया ।| उसकी महत्ता का अनु- सान इम तश्च के आधार पर लगाया जा सकता हे कि इस समयः भी जवकि मनोविज्ञान वहुत आगे वढ़ चला है अमेरिका के अनेक मनोविज्ञान-वेत्ता उसकी कृतियों को पढ़कर ग्रोत्साहित होते हैं आधुनिक मनोविज्ञान ने वन्तुतः मवसे सहत्वपृणं करवट सन्‌ १६०४ इ८ क ्रास-पःस ली जवकि पावललोव* नाम के एक्‌ शरीर- वैज्ञानिक ने सापत्ी-करणु* का नियम स्थापित करके मानसिक क्रियाओं का भा नि आधार खोज निरालने का प्रयत्न किया पाव- लोव ने अपना यह सापेक्षों करण रा प्रयोग एक कुत्ते पर किया था । पावलोव के सापेत्तीकरण-सिद्धान्त तथा डाविनः के विकास वादस प्रभावित होकर वाद्सन- नाम के स्नोवकज्ञान- वेत्ता मे मनोविज्ञान से मन अथवो च॑तना को विल्कल निकाल फेंकने का प्रयत्त किया। अब तक मनोविज्ञान की परिभाषा ' किसी न किसी रूप में चेतनता का अध्ययन-” ही रही थी, १ সপ পাদ পপর পাপ 2-50808008]. ₹-3190002য. ই-:0010091008, 1] 68, ৬৪৮10, ছ-0009720100100. ৩-1081৮11), [হভ- ৯88০0, &৯েএুস ০? 0009010081068৭




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