कबीर विषयक आलोचनाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन | Kabir Vishayak Aalochanaon Ka Tulanatmak Mulyankan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : कबीर विषयक आलोचनाओं का तुलनात्मक मूल्यांकन  - Kabir Vishayak Aalochanaon Ka Tulanatmak Mulyankan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विजय शंकर दुबे - Vijay Shankar Dube

Add Infomation AboutVijay Shankar Dube

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
राजनैतिक परिस्थिति पनन्‍्द्रहर्वी सदी के जिस राजनीतिक परिवेश में कबीर का जन्म छुआ था। राज सत्ता शासक की व्यक्तिगत शक्ति और योग्यता पर निर्भर थी। नियम और सविधान जैसी कोई चीज नही थी। कोई भी महत्वाकाक्षी सरदार अपनी शक्ति के बल पर राज्य कायम कर सकता था। जैसा कि इतिहास के अध्ययन से ज्ञात डोता है कि मुसलमानों में सुल्तान होने के लिए अभिजात्य आवश्यक नही था। जबकि इसके विरूद्ध हिन्दु राजाओं मे यह भावना प्रवल विद्यमान थी। अर्थात जो जन्म से ही उच्च कुल में उत्पन्न हुआ है वही सर्वोच्च सत्ता पाने का हकदार है। यही भावना आगे चलकर समाज को वर्गो में खण्डित करने में अहम भूमिका निभाई थी। इतना ही नहीं सामान्य जनता में राजनीतिक चेतना का अभाव सा था। राज सत्ता के परिवर्तन से उसकी आर्थिक सामाजिक स्थिति में कोई मौलिक परिवर्तन संभव नही था। इसलिए वह प्राय उदासीन रहती थी। प्रजा के आर्थिक उन्नति के लिए शासको की ओर से कोई प्रयत्न नही किया जाता था। जैसा कि ज्ञात डो गया था कि शासन के मुख्यत दो ही कार्य थे। शांति कायम रखना और राजस्व वसूल करना। इसीलिए शासकों को जनता का समर्थन नहीं मिल पाया था। मुसलमानों को अभी तक विदेशी ही समझा जाता था। राजपूत ओर हिन्दु सामन्त उन्हँ बराबर चुनौती देते रहते थे। निरन्तर जिससे युद्ध का वातावरण बना रहता था।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now