हिन्दी उपन्यास में खलपात्र | Hindi Upanyas Men Khalapatra
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
58 MB
कुल पष्ठ :
352
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थे ; उनकी बोली में स्पष्टता नई। था । अतरव वे पुध्मवाच: थे उसका रंग
तौ काला था ई; 1!
वैडिक युग में रादासों और पिशाचौ का मी उत्हेश बाता है
{जनके व्यक्तित्व और कृतित्व का स्वरुप उनके ভিধ জগ জী কাঁতি লিল
करता है । रास जणो थे , कच्चा मास साते थे, उनकी दुष्ष्टि कृर थी ।
ये दुष्कु ति के कम में ही स्मृत हैं। बाये उनका सर्वगाश्ञ चाहते थे हसलिए इन्द्र
सै प्रार्थना करते थे कि নল ই रादासों কী মাকে ইবলাআ की दाकर ।
रसौ का आवार~व्यवहार भिधया আঁ वसत्य से मरा हौता था । राषासों
की एस्थ्रियाँ मी माया द्वारा हिंसा करती थीं | वे इृदय वैश कौ घारण करते
वाले तथा प्रपर्थ। स्वभाव के थे , इसी लिए उनके 1तशाचर और यातुबान नाम
प्रचलित हुए । यर्धाप তিস্ত্র विवाह पद्धति में रादास विवाह मी रुक प्रकार है
तथापि वह एक कृष्ट एकार का विवाह ही समाज में माना गया है | षास
शब्द गाली के रुप में प्रयुक्त होता था और आज मी है। इसमें उनकी জালা
की मुल मावनमा निशित है |
रादासों के समान ही पिदा भौ कन्येव में मयंकर कहे गये है ।
ये मी क्या मांस साते ये । उनकी पेश्यानिक विभा छल, इंदय से मरी होती थी १
पपिज्ञाचीं को हुड़ कौटि में रसा गया । चेषा जिवाह पद्धति स्वीकृत होने पर
मी निकृष्ट मानी गमी ।
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