शिशुपालवध महाकाव्य में ध्वनि - तत्त्व एक अध्ययन | Shishupalavadh Mhakavya Men Dhwani - Tattw Ek Adhyayan

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Shishupalavadh Mhakavya Men Dhwani - Tattw Ek Adhyayan  by चंडिका प्रसाद शुक्ल - Chandika Prasad Shukla

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मं यह उल्लेख - “इति श्री भिन्नमालव-वास्तव्यः दत्तक सूनोमघि...-..-. माघ को भीनमाल का निवासी घोषित करता है। शिशुपालवध महाकाव्य के {रवे सर्ग के चक्रबन्ध श्लोक म श्लिष्ट रूप म अकित वत्सभुमि (भीनमाल, जालौर, मारवाड) का संकेत है, जो कवि को भीनमाल को निवासी बताता हे। प्रबन्ध तथा अन्य तद्विषयक ग्रन्थ माघकवि को भीनमाल का निवासी बताते है। बसन्तगढ के शिलालेख तथा ब्रह्मगुप्त के ब्रह्यस्फुटसिद्वान्त के आधार पर कवि माघ भीनमाल के ही निवासी सिद्ध होते हैं। उक्त विवेचन से यही सिद्ध होता है कि माघकवि की जन्मभूमि प्राचीन गुजरात प्रान्त के अन्तर्गत भीनमाल ही है नो भाग राजस्थान कें सिरोही जनपद के निकट एक तहसील है। देशकाल : डा कीलहार्न को राजपूताने (राजस्थान) के बसन्तगढ नामक स्थान से वर्मलात नामक किसी राजा का 682 विक्रम संवत्‌ अर्थात्‌ 625 ई का एक शिलालेख प्राप्त हुआ था। भीनमाल के आसपास के प्रदेश में इस लेख के मिलने के कारण निश्चित ही थे वर्मलात सुप्रभदेव के आश्रयदाता रहे होंगे। शिशुपालवध काव्य के अन्त में माघ ने पांच श्लोको में अपने वंश का वर्णन किया है जिससे ज्ञात होता है कि उनके पितामह सुप्रभदेव गुजरात के श्रीवर्मलात्‌ नामक राजा के मन्त्री थे। शिशुपालवध कौ हस्तलिखित प्रतियों में इस राजा को वर्मलात, वर्मनाभ, धर्मलात और धर्मनाभ आदि अनेक नामों से मण्डित किया गया है। उक्त शिलालेख के प्राप्तकर्ता डा कौलहार्न ने राजा का शुद्ध नाम वर्मलात माना है और उनको माघ मेँ पितामह सुप्रभदेव का आश्रयदाता स्वीकार किया है। अत- उनके पौत्र माघ का समय उनके लगभग 50 वर्ष बाद अर्थात्‌ 656 ई0 के आसपास माना जाना चाहिए। आचार्य वामन द्वारा माघकूत श्लोक का उद्धरण दिये जाने के कारण, माघ 800 ई0 के पूर्व ही माने जायेंगे। शिशुपालवध के द्वितीय सर्ग के श्लोक मेँ राजनीति कौ तुलना शब्द-विद्या अर्थात्‌ व्याकरण से की गयी है।' 1 अनुत्सूत्र पदन्‍्यासा सद्वृत्ति* सन्निबन्धना। शब्दविद्येव नो भाति राजनीतिरपस्पशा।। (5)




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