मूलशंकर याज्ञिक की कृतियो का आलोचनात्मक अध्ययन | Mulshanker Yagyik Ki Kritiyo Ka Alochanatmak Adhayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मूलशंकर याज्ञिक की कृतियो का आलोचनात्मक अध्ययन  - Mulshanker Yagyik Ki Kritiyo Ka Alochanatmak Adhayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हनुमान यादव - Hanuman Yadav

Add Infomation AboutHanuman Yadav

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
तथा नगरों ভা महत्त्वपुण कीन प्रस्तुत शक्ये गये आदेश को रक्षा सुरक्षा करने वाले अनेक राजवंशों का इीतहास देने तथा उसको सामाजिक उपयोगगिता ভা নান कराने आद के प्रत अ বত ভী জন समूह में राष्क्यता के भावों को प्रदीप्त करने को द्वष्टि से प्रस्तुत किये गये है। ब्रहमपु राण में ब्रहमाण्ड क्नन के प्रसंग में जम्बूद्वीप का कौन करते हुए कहा गया है कि सागर के उत्तर दशा की ओर ओर 1हमीगीर से दक्षिण दिशा की ओर भारतवई की 1स्थीत है इनमें जन्म तेने वाले भारतीय हैं- उत्तरेण स्द्रत्य गहमाद्रेषपैव दक्षिण । वै तद्मारतें नाम भारतो क सन्तततिः।। ह इसी प्रकार पुराणों में अनेक स्थानों पर राषष्ट्रियता के भाव प्राप्त होते है! त॑स्कृत के उपनीव्य कव्यं मे भी राष्ट्रयता का कीन मिलता है। प्रत्येक विकासत एवं विकासशील देश में कुछ एस ग्न्यरत्न हुआ करते है 1ম उत देश की वस्ति, सभ्यता सवं धाक मर्यादा आग তা महन होता है ।ससे ही उन्ध राष्ट्र के अप्रल्य শীহল-সীন होते है। इन उ्रन्धों में राष्ट्र की साहा त्यक पया के भी अनेक आलम्बनं होते ह ब्हां ते स्वराष्ट्र अनुगामी रतप्िद्र सारहत्यकगर अपनी संवेदना के ही अनुसार कधायस्तु का अपहरण कर अपनी योग्यता के बलपर राष्ट्र के पीरत्र एवं धम के मौरव का विकास करता है । ০ अल... समन. किक দি গান হচ্ছ সাজা बाद क्म আটা | কিল আজ ডি আরা নাজ জা সার | अशोक ॥ |, মাছি, | ০০০০ শি আজ গাজার जलाकर |° ब्रह्म राण 1१




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now