ब्रिटिश संविधान | British Samvidhan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
56 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महादेवप्रसाद शर्मा - Mahadevprasad Sharma
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ब्रिटिश संविधान का विकास &
होता है तो लोग कहते हैं कि “यह तो अमुक विषय का भ्ैग्राकार्यः है। अन्न प्रश्न
यह है कि जन मैमराकार्य मे जनसाधास्ण क मौलिक अधिकारो का उल्लेख भी नहीं
है तो उसे इतना महत्त्व क्यों दिया जाता है। प्रोफेसर ऐडम्स ने अपनी पुस्तक
“इंगलेणड का वैधानिक इतिहास” में इसका यह कारण बतलाया है कि राज्य-संगठन के
कुछ मूलभूत ऐसे नियम हैं जिनका उल्लंघन राजा ( अथवा सरकार ) भी नहीं कर
सकता ओर दूसरे, यह कि यदि राजा या सरकार उनका उल्लंघन करे, तो प्रजा को
यह अधिकार है कि उसे उन नियमों को मानने को बाध्य करे, यहाँ तक कि यदि
आवश्यक हो, प्रजा सरकार या राजा को पदच्युत करके उसके स्थान में दुसरे राजा
या सरकार को स्थापित कर सकता है। ब्रिटिश जाति के इतिहास में जब-जब प्रजा की
स्वतन्त्रता पर संकट श्राया है, तन-तब लोगो ने इन्दी दो सिद्धान्तो का त्राश्रय लेकर:
अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा की है। मैप्ाकार्य द्वारा ही इन सिद्धान्तो की स्थापना इई
ओर इसी कारण उसका इतना महस है |
शासन और न्याय-व्यवस्था का विकास--मैम्नाकार्य के बाद की दो-तीन
शताब्दियों मे ब्रिटेन के संविधान का मुख्यतया दो दिशाओं में विकास हुआ | एक तो
क्यूरिया रेजिस से मुख्य न्यायालयों और प्रिवी काउन्सिल का उद्भव हुआ ओर दूसरे
मगनम कान्खीलियम से क्रमशः पालंमेएट विकसित हुई |
हम ऊपर बतला आये हैं कि क्यरिया रेजिस राजा को स्थायी रूप से दिन-
प्रतिदिन के राजकाज में परामर्श और सहायता देती थी। इसके सामने मुख्यतः दो
प्रकार के कार्य आते थे अर्थात् न्याय सम्बन्धी और शासन सम्बन्धी । कालान्तर में न्याय
कार्य के लिए इसमें से चार मुख्य न्यायालयों का जन्म हुआ--( १ ) कोठ आफ
एक्सचेकर, (२) कोर्ट आफ कामन प्ली, (३ ) किंग्स बेश्व और (४ ) चान्सरी |
अनेक परिवततनों और संशोधनों के साथ ये न्यायालय अँग्रेंजी शासन-पद्धति में आज
भी पाये जाते हैं ।
इस प्रकार क्यरिया का एक भाग तो न्यायालयों के रूप में उससे प्रथक् हो
गया । अब बचा शासन और परामर्श का काम | उसे बहुत समय तक क्यूरिया ही
“स्थायी समितिः (52002250 0০52011) ক नाम से करती रदी | इसके
सदस्यों की संख्या क्रमशः इतनी बढ़ गई कि काम-काज में असुविधा होने लगी और
जैसे मैगनम कान्सीलियम के कुछ सदस्यों को लेकर किसी समय क्यूँरिया रेजिस उससे
प्रस्फुटित हुई थी, उसी तरह अब क्युरिया रेजिस अथवा परमानेण्ट काउन्सिल की भी
एकं श्रन्तरंग गोष्टी बन गई जिसका न।म प्रिवी काउन्सिल ( शुप्त समिति ) पड़ा | यह
घटना पतन्द्रहवीं शताब्दी में छुठे हेनरी के राज्ययाल ( १४२२-६१ ६० ) में हुई ।
अठारहवीं शतान्दी तक प्रिवी काउन्सिल का आकार भी बहुत बढ़ गया और तब
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