राष्ट्रभाषा का प्रथम व्याकरण | Rashtrabhasha Ka Pratham Vyakaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
210
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्रिया की प्रधानंता
हम दोनो ने किया--आवाम् अकुब
हम सब ने किया--वयम् अकुमे
इतने रूप पुरुष तथा वचन के भेद से हुए। लिङ्ग-भेद नहीं
होता है। राम : अकरोत' ओर 'रमा अकरोत! | दोनो जगह
अकरोत् है। नप॑ंसक-खिङ्ग मँ भी क्रिया-रूप यही अकरोत्
रहे गा । परन्तु छिज्ञ-भेद से क्रिया का रूप-सेद न होने पर भी
पुरुष-भेद से जो उतने रूप-भेद हैं, उन को भी तो मन में छाइए |
लिड्र-भेद से तो केवछ तीन भेद होते ; पर पुरुष तथा वचन के
भेद से तो नो भेद हुए--तिगुने ! यह तो साधारण बात है।
किसी-किसी क्रिया के तो एक ही काछ में पुरुष-सेद से सौ-सौ
वेकल्पिक रूप-भेद होते हैं। संस्क्रत पढ़ने वाछे को वे सब सीखने
पड़ते हैं, याद करने पड़ते हैं। उन के प्रयोग में बड़ी संकट
सामने आती है। परन्तु उसी ( संस्कृत ) भाषा में क्रिया के
कृद्र्त शूप कितने सरल है, देखिए ¦! उसी कार मे सीधा-साद्ा
८तः ( क्त ) प्रत्यय है, सब पुरुषों मे समान-
माघव ने किया--माधवेन कृत्तम्
उन दोनो ने किया--ताम्यां कृतम्
उन्हों ने : किया--तेः कृतम्
त् ने किया-त्वया कुतम्
प्रथम् अध्याय 'राष्ट्रभाषा का
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